झारखंड में नशे पर नकेल कसने की तैयारी... एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का होगा गठन, आईजी होंगे प्रमुख

झारखंड नक्सलवाद की समस्या के साथ प्रदेश में नशा भी एक बड़ी प्रॉबल है। अब मौजूदा सरकार ने इससे निपटारे के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन करने वाली है,ताकि नशें के कारण बढ़ते अपराधों को कंट्रोल किया जा सके।
 

रांची (झारखंड).  झारखंड सरकार राज्य में नशे पर लगाम लगाना चाहती है। नशे पर नकेल कसने को लेकर राज्य की सरकार एंटी नारकोटिक्स फोर्स का गठन करने वाली है। एएनटीएफ यानी एंटी नारकोटिक्स फोर्स के गठन की प्रक्रिया जल्दी शुरू कर दी जाएगी। यह टास्क फोर्स सीआईडी के अंदर काम करेगी और आईजी रैंक के अधिकारी इसके प्रमुख होंगे। बता दें कि झारखंड में अफीम की खेती और नशा सिरदर्द बना हुआ है। आए दिन नशे में अपराधियों द्वारा असमाजिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। राज्य में क्राइम रेट बढ़ने का मुख्य कारणों में से एक नशा भी है।

अफीम तस्करी का बड़ा क्षेत्र है झारखंड 
झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में अफीम की खेती की बढ़ती समस्या को देखते हुए कई राज्यों के तस्कर पूरे साल भर झारखंड में एक्टिव रहते हैं। अब तक झारखंड पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मिलकर नशे के तस्करों के खिलाफ काम करते आए हैं, लेकिन अब झारखंड में अफीम की तस्करी से लेकर नशे के तमाम अवैध कारोबार पर लगाम लगाने के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद सीआईडी ने इसके गठन का प्रस्ताव तैयार कर पुलिस मुख्यालय भेज दिया है। 

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एनसीबी की तर्ज पर काम करेगी एएनटीएफ 
पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार ANTF का गठन सीआईडी मुख्यालय के अधीन होगा। इसके प्रमुख आईजी स्तर के अधिकारी होंगे जबकि एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर समेत अन्य रैंक के अधिकारी इस टीम का हिस्सा होंगे। ANTF राज्य में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की तर्ज पर काम करेगी। राज्य भर में नशे के अवैध कारोबार को लेकर अभियान चलाने, केस दर्ज करने जैसे अधिकार एएनटीएफ की जिम्मे में होंगे। आईजी(सीआईडी) असीम विक्रांत मिंज ने इस संबंध में एक प्रस्ताव मुख्यालय को भेजा है। 

नारकोटिक्स मसले पर चंडीगढ़ में होगी बैठक
केंद्र के द्वारा नशे के अवैध कारोबार को लेकर काफी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। सभी राज्यों को इस संबंध में कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकार के सीआईडी के दो अधिकारी चंड़ीगढ़ में इस संबंध में आयोजित होने वाले बैठक में शामिल होंगे। सीआईडी के आईजी व एसपी इस बैठक में हिस्सा लेंगे, साथ ही राज्य पुलिस के द्वारा की गई अबतक की कार्रवाई से केंद्र को अवगत कराया जाएगा।

बंगाल की बीज से होती है खेती, अन्य राज्यों में होती है सप्लाई
झारखंड में कई गांव नक्सल प्रभावित है। इन गांवों में नक्सलियों के संरक्षण में धड़ल्ले से अफीम की खेती की जाती है। राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में उगाई गई अफीम तस्करों के माध्यम से राज्य के बाहर भेजा जाता है।  झारखंड की अफीम की मांग पंजाब, हरियाणा, यूपी, बंगाल के साथ-साथ नेपाल में भी है, जहां से ये अफीम दूसरे राज्यों और अंतराष्ट्रीय बाज़ार में भेजे जाते हैं। 

नेपाल सहित कई राज्यों से जुड़े हैं तार
झारखंड के अफीम तस्करों के तार पड़ोसी देश नेपाल समेत कई राज्यों से जुड़े हैं। राज्य से अफीम के डोडा की सप्लाई यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब में की जाती है। रांची, खूंटी, सरायकेला, गुमला, लातेहार, चतरा, पलामु, गढ़वा, हज़ारीबाग, गिरिडीह, देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा और साहेबगंज में अफीम की खेती होती है। 

अफीम तस्करों का स्वर्ग है चतरा, अरबों में होता है करोबार
चतरा जिले को उग्रवादियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब चतरा की पहचान अफीम की खेती के साथ-साथ अफीम से बने ब्राउन शुगर के उत्पादन के लिए होने लगा है। चतरा जिले के अंदरूनी इलाकों में अफीम के साथ साथ ब्राउन सुगर का भी उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है। यहां के विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ों में बिकने वाला ब्राउन शुगर का उत्पादन होने लगा है। गौरतलब है कि पिछले डेढ़ दशकों से चतरा में अफीम की खेती हो रही है। चतरा जिला के भौगोलिक क्षेत्र का लाभ उठाकर अब ऐसे जमीन पर खेती हो रही है जो ज्यादातर वन भूमि एवं सरकारी जमीन है। चतरा जिला के राजपुर, हंटरगंज, प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, सिमरिया, गिधौर, पथलगड्डा, इटखोरी आदि थाना क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अफीम की खेती होती है।

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