
रांची. झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ गुरुवार के दिन एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। जहां रामगढ़ जिले में भूमि विवाद को लेकर गुस्साएं ग्रामीणों ने करीब तीन घंटे तक घेराव किया। इसकी जानकारी पुलिस को मिलते ही वह उनकी मदद को लेकर दौड़े और गांव वालों को समझाया और उन्हें वहां से रेस्क्यू किया। घटना राजधानी रांची से करीब 45 किलोमीटर दूर पतरातू प्रखंड के मेलानी गांव की है।
सुबह ही पत्थर बिछा मंत्री की गाड़ी रोकी
मामले की जांच कर रही पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) बीरेंद्र चौधरी ने बताया कि पूर्व मंत्री गुरुवार की सुबह 5:30 बजे अपने फोर व्हीलर से गांव से अपने घर के निकल रहे थे। तभी करीब 50 से 100 लोगों ने अचानक रास्तों में पत्थर पटकर कर उनका रास्ता रोकने के साथ उनको घेर दिया। विरोध करने वालों में सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं की थी। जिसकी जानकारी बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने पुलिस को दी तो वे सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे जिसके बाद गांव के लोगों को समझाने के बाद वहां उनको बचाकर रवाना किया गया।
ग्रामीणों ने बताई, जमीन कब्जा करने की बात
मामले में पुलिस ने बताया कि जमीन विवाद के चलते गांव वालों ने घेराव किया है। वहीं पतरातू गांव के लोगों ने बताया कि पतरातू डैम के पास उनकी करीब 2.42 एकड़ की जमीन है। ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व मंत्री के ऑर्डर देने पर वहां बाउंड्री का निर्माण कराया जा रहा है। इसके चलते ही हमने विरोध करते हुए उनके रोका।
पूर्व मंत्री ने दी सफाई
पूरे मामले में बताया कि पूरी घटना एक गलतफहमी के कारण हुई है। उन्होंने बताया कि गांव में जमीन विवाद था, जिसकी शिकायत लेकर मेरे पास कुछ ग्रामीण मेरे पास आए थे। उनकी बात सुनने के बाद मैने 18 अक्टूंबर के दिन मुद्दे को सुलझाने के लिए सर्कल अधिकारियों से बात की थी। बाकी गांववालों ने इसे गलत समझ लिया। और बुधवार शाम को मैं अपने पुराने कार्यकर्ताओं नरेश महतो और माइकल तिग्गा से मिलने गया था वहां की जमीन से मेरा कोई लेना देना नहीं न ही मैं वहां पर किसी तरह का निर्माण करवा रहा हूं।
शिकायत दर्ज कराने से किया मना, बोले उनका हक है ये
वहीं पूरे मामले को जानने के बाद बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने यह जानने के लिए कांटेक्ट किया कि क्या वे ग्रामीणों के खिलाफ कोई कार्रवाई करवाना चाहते है तो पूर्व मंत्री ने किया इन्कार करते हुए कहा कि वे इस बारे में कोई शिकायत दर्ज नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं राजनीतिक नेताओं के साथ होती रहती है, साथ ही कहा कि गांववालों को अपना विरोध दर्ज कराने का अधिकार है। वहीं अंबा प्रसाद ने बताया कि गांव वाले चाहते है कि उनके पिता इस विवाद से दूर रहे इसलिए ये तरीका अपनाया है।
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