पब्लिक के भड़कते ही यूं पलट गए नेताजी, जिस क्लर्क को भतीजा कहकर गले लगाया, पहले उसकी गिरेबां पकड़कर रौब दिखाया

यहां एक भाजपा नेता ने अपना काम अटका देखकर क्लर्क को पीट दिया। नेताजी भवन निर्माण विभाग के ठेके लेते हैं। हालांकि जब मामला तूल पकड़ा, तो नेताजी तुरंत पलटी मारकर क्लर्क को दोस्त बना लिया।
 

Asianet News Hindi | Published : Jan 9, 2020 7:21 AM IST / Updated: Jan 09 2020, 01:00 PM IST

जमशेदपुर, झारखंड. अपना काम अटका देखकर यहां एक भाजपा नेता इतने गुस्से में आ गए कि उन्होंने दफ्तर में घुसकर क्लर्क की पिटाई कर दी। क्लर्क जान बचाकर वहां से भागा, लेकिन नेताजी ने दौड़कर उसे पकड़ लिया। फिर कॉलर पकड़कर खूब गालियां दीं और 2-4 चांटे भी दे मारे। इस दौरान क्लर्क उन्हें चाचा-चाचा कहते हुए छोड़ देने की गुहार लगाता रहा। यह और बात है कि जब मामला बिगड़ गया, तो नेताजी ने पलटी मार ली। उन्होंने फौरन क्लर्क को अपना भाई बताते हुए गले लगा लिया। मामला भवन निर्माण विभाग में बुधवार को हुआ। नेताजी ठेकेदारी करते हैं।

नेताजी ने और क्लर्क ने फिर यूं दिखाया भाईचारा..
भाजपा नेता सुधांशु ओझा ठेकेदारी करते हैं। उन्हें मुसाबनी के बानगोड़ा स्कूल के दो कमरों के निर्माण का ठेका मिला है। इसके 18 लाख रुपए का वर्क ऑर्डर निकलना बाकी था। दरसअसल, विधानसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगी हुई थी। इसलिए वर्क ऑर्डर रोक लिया गया था। नेताजी चाहते थे कि वर्क ऑर्डर बैक डेट यानी 19 दिसंबर से दे दिया जाए। क्लर्क बालेंद्र महतो ने ऐसा करने से मना कर दिया। उसने दो टूक कहा कि यह नियम विरुद्ध होगा। इस बात पर नेताजी गर्म हो गए। उन्होंने रौब दिखाते हुए क्लर्क को पीट दिया। हंगामा बढ़ते देख बाकी स्टाफ इकट्ठा हुआ और दोनों को अलग-अलग किया। मामले की सूचना मिलते ही एग्जिक्यूटिव इंजीनियर सुनील सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों के बीच समझौता कराया। हालांकि इससे पहले कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया। वे नेताजी के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग कर रहे थे। मामला बिगड़ते देख नेताजी ने फौरन क्लर्क को गले लगा लिया।

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पहले भी विवादों में घिरे रहे हैं नेताजी
इस घटना पर सफाई देते हुए ओझा ने कहा कि गलतफहमी के कारण ऐसा हुआ था। लेकिन बाद में मामला सुलझ गया है। हालांकि क्लर्क ने कहा कि नेताजी ने उसकी कॉलर पकड़कर मारा। इसकी शिकायत इग्जिक्यूटिव इंजीनियर से की गई है। ईई सुनील सिंह ने कहा कि मामला सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा दिया गया है। उल्लेखनीय है कि ओझा पहले भी विवादों में रहे हैं। वे एक मामले में 2007 में थाने में भी बंद रह चुके हैं।

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