यह घटना झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की शर्मनाक तस्वीर दिखाती है। इस महिला का बेटा एक हादसे में घायल हो गया था। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटे के शव को घर तक ले जाने के लिए हॉस्पिटल में एम्बुलेंस तक नहीं थी। जवान बेटे को खो देने के बाद मां उसके शव की दुर्दशा से टूट गई। शव आखिरकर बाइक पर ले जाना पड़ा।
चतरा, झारखंड. लॉकडाउन के बीच लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यह घटना झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की शर्मनाक तस्वीर दिखाती है। इस महिला का बेटा एक हादसे में घायल हो गया था। बुधवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। बेटे के शव को घर तक ले जाने के लिए हॉस्पिटल में एम्बुलेंस तक नहीं थी। जवान बेटे को खो देने के बाद मां उसके शव की दुर्दशा टूट गई। शव आखिरकर बाइक पर ले जाना पड़ा।
एक मां को संभालना हुआ मुश्किल
बताते हैं कि युवक कैंची की धार रख रहा था। उसी दौरान ग्रेंड टूटने से वो बुरी तरह घायल हो गया था। बुधवार को उसकी सिमरिया रेफरल हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो प्राइवेट शव वाहन का इंतजाम कर सकें। हॉस्पिटल ने उन्हें एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई। ऐसे में उन्हें शव को बाइक पर ले जाना पड़ा। मामला टंडवा प्रखंड के तेसर चप्पा गांव का है। 25 वर्षीय गणेश कुमार मंगलवार की शाम को कैंची पर धार रखते समय ग्रेंडर टूटने से घायल हुआ था।
मृतक के भाई शंकर ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हें शव को ले जाने में दिक्कत हुई। मां को संभालना भी मुश्किल हो रहा था। इस बारे में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. भूसण राणा ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है। हॉस्पिटल में दो एम्बुलेंस हैं। शव को ले जाने एम्बुलेंस क्यों नहीं मिली, मामले की जांच कराई जा रही है।