आपदा में अवसर की यह यह कहानी झारखंड के सोनुआ की है। लॉकडाउन में मां किराना के सामान को लेकर परेशान थी। यह देखकर उसके बेटे ने एक ऐप ही लॉन्च कर दिया। इस ऐप से रेस्टारेंट, किराना, फल-सब्जी सहित अन्य 23 दुकानदार जुड़ गए हैं। इससे अब कार बुकिंग से लेकर अन्य सुविधाएं भी जोड़ी जा रही हैं। इस ऐप के कारण अब लोगों को कोरोनाकाल में बेवजह बाहर नहीं निकलना पड़ रहा है।
सोनुआ, झारखंड.आपदा में भी अवसर ढूंढ़े जा सकते हैं। जब मुसीबत सामने आती है, तब उसका उपाय भी निकाला जाता है। ऐसा ही कुछ सोनुआ के चक्रधरपुर के 25 वर्षीय कैलाश नायक ने किया। कैलाश ओडिशा के भुवनेश्वर में जॉब करते हैं। यहां घर में मां अकेली रहती हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें किराना और फल-सब्जी के लिए बाजार जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ता था। कैलाश भी नहीं चाहते थे कि उनकी मां कोरोनाकाल में बेवजह घर से निकलें। इसलिए उन्होंने एक ऐप ही लॉन्च कर दिया।
अब घर बैठे मंगा सकते हैं कि सामान...
कैलाश पेशे से इंजीनियर हैं। उन्होंने तिरु नाम का मोबाइल एप बनाकर लॉन्च किया है। इस एप का लाभ दूसरे लोग भी खूब उठा रहे हैं। कैलाश बताते हैं कि ऐप से कार रेंट पर बुक करने से लेकर अन्य सुविधाएं भी जोड़ी जा रही हैं। कैलाश के इस ऐप से चक्रधरपुर के रेस्टोरेंट, राशन, फल-सब्जी, दवाई समेत 23 दुकानदार जुड़े हैं। इस ऐप से कैलाश को हर महीने 10 हजार रुपए की कमाई हो रही है। इसमें 10 रुपए डिलीवरी चार्ज पर घर तक सामान पहुंचाने की सुविधा दी गई है। आगे पढ़ें-लॉकडाउन में 10वीं पास सास ने बहू के संग मिलकर बनाया गजब का मोबाइल एप, देता है घर बैठे रोजगार
धनबाद, झारखंड. क्रियेटिविटी के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। अब इन सास और बहू से ही मिलिए! सास मनोरमा सिंह की उम्र है 70 साल, जबकि बहू स्वाति कुमारी 32 साल की हैं। दोनों ने कोरोना काल का सदुपयोग किया और इस मौजूदा संकट में पढ़े-लिखे युवाओं को रोजागार दिलाने एक जबर्दस्त एप बना दिया। इसका नाम Guru-Chela रखा गया है। इस एप के जरिये छात्र-छात्राएं अपने लिए ट्यूशन ढूंढ सकते हैं। यानी शिक्षक भी अपने के लिए छात्र-छात्राएं। यानी यह एप ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासेस के लिए शिक्षक ढूढ़ने का बढ़िया जरिया है। इसके लिए एप पर पंजीयन कराना होगा। इससे कोरोना काल में परेशान प्राइवेट शिक्षकों को ट्यूशन मिल रहे हैं। यानी वे 8 से लेकर 20 हजार रुपए महीने तक कमा रहे हैं। इस एप के जरिये अब तक 40 से ज्यादा शिक्षकों को ट्यूशन मिल चुके हैं यानी उन्हें रोजगार मिला। वहीं, छात्र-छात्राओं को भी मार्गदर्शन मिल रहा है। सास-बहू धनबाद की धैया में रहती हैं।
सास-बहू ने यह एप सिर्फ 2 महीने में तैयार कर दिया
सास-बहू ने बताया कि एप के जरिये इस साल 250 लोगों को रोजगार दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। सबसे बड़ी बात सास महज 10वीं पास हैं। बहू ने बीएड किया हुआ है। दोनों ने फोन के जरिये शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को जोड़ना शुरू किया था। इस बीच दिल्ली विवि से कम्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे मनोरमा के नाती वत्सल ने उन्हें एप बनाने का सुझाव दिया। यह एप प्ले स्टोर पर उपलब्ध है।