झारखंड के वेस्ट सिंहभूम में बुधवार 13 जुलाई के दिन को मिलाकर हुई 7 मौतों के बाद गुरुवार 14 जुलाई के दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम जिलें पहुंची और लोगों से बीमारी के बारें में पूछा, साथी उनको जरूरी दवाइयां दी और किट से जांच की गई।
वेस्ट सिंहभूम. झारखंड के प. सिंहभूम में अज्ञात बीमारी से सात लोगों की मौत के बाद चाईबासा सदर अस्पताल और मनोहपुर सीएचसी के डॉक्टरों की पूरी टीम दोपहर 12 बजे गांव पहंची। गांव के एक विद्यालय में शिविर लगाकर मरीजों का इलाज प्रारंभ किया। शविर में सैकड़ों बच्चे व महिलाएं शामिल हुए। दर्जनभर मरीजों की स्थिति अब भी गंभीर है। सभी बुखार, दस्त और ठंड लगने से परेशान हैं। सभी मरीजों का एक-एक कर मलेरिया की जांच विशेष किट से की गई। इसके बाद चार चिकित्सकों की अलग-अलग टीम बैठकर बारी-बारी से मरीजों का इलाज कर जरूरी दवाइयां दी गई। पश्चिम सिंहभूम की सांसद गीता कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी गांव पहुंचे।
टीम ने घर-घर जाकर मौत के कारणों का पता लगाया
डॉ संजय कुजूर के नेतृत्व में चाईबासा से आयी आईडीपीएस और आरआरटी विभाग की टीम ने गांव के मृत मरीजों के घर-घर जाकर मौत होने की वास्तविक वजहों का पता लगाने का कार्य किया। डॉक्टरों ने माना कि जिला में चिकित्सा सुविधा चरमराने की मुख्य वजह 215 डॉक्टरों की जगह मात्र 65 डाक्टरों का होना है। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में हम लोग बेहतर चिकित्सा सुविधा लोगों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। एम्बुलेंस व 108 एम्बुलेंस में भी डीजल भराने संबंधित फंड की समस्या है, जो एक बड़ा मामला है। इस दौरान एसडीपीओ अजीत कुमार कुजूर ने भी मृतक परिवारों से मिलकर घटना व बीमारी के बारे में जानकारी ली।
अस्पताल में डॉक्टर कभी नहीं बैठते हैं : मुखिया
घटना के बारें जानकारी देते हुए यहां छोटानागरा पंचायत की मुखिया मुन्नी देवगम ने बताया कि छोटानागरा सरकारी अस्पताल में डॉक्टर कभी बैठते नहीं हैं, बाईहातु जल मीनार से नदी का दूषित लाल पानी बिना फिल्टर के सप्लाई किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग मलेरिया की रोकथाम हेतु डीडीटी आदि का छिड़काव नहीं करती।
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