इस बार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर पंचग्रही योग बन रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग कई सालों में एक ही बार बनता है। ग्रहों की इस विशेष संयोग में किए गए स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष फल मिलता है।
उज्जैन. इस बार 14 दिसंबर को सोमवती अमावस्या पर पंचग्रही योग बन रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग कई सालों में एक ही बार बनता है। ग्रहों की इस विशेष संयोग में किए गए स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष फल मिलता है। सोमवती अमावस्या पर पितरों की संतुष्टि के लिए विशेष पूजा और तर्पण करना चाहिए।
- काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु रहेंगे।
- इन पांचों ग्रहों के एक ही राशि में होने से मौसम में परिवर्तन होगा। ठंड बढ़ सकती है। कुछ स्थानों पर तेज तो कहीं हल्की बारिश होने का अनुमान है।
- सूर्य, चंद्र, बुध, शुक्र और केतु वृश्चिक राशि में होने पर इस बार सोमवती अमावस्या पर किए गए दान का अनंत पुण्य प्राप्त होगा।
- अगहन महीने की अमावस्या पर तीर्थ स्नान और दान के साथ ही शंख से भगवान कृष्ण का अभिषेक और उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए।
- शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गई है। अश्वत्थ यानि पीपल का पेड़। इस दिन शादीशुदा महिलाओं द्वारा पीपल के पेड़ की दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा कर पेड़ के चारों ओर सूत का धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान है।
- ज्योतिषियों की माने तो जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा है, उन्हें ये व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।
- इस अमावस्या पितृदोष की शांति के लिए अपनी यथा शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार बरगद, पीपल, तुलसी और आम के पौधे लगाने चाहिए।
- इस दिन जरूरतमंद लोगों को ऊनी कपड़ों का भी दान करने से दान का महत्व कई गुना बढ़ जाएगा।
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