विष और सर्प योग में मनाई जाएगी महाशिवरात्रि, 117 साल बाद बनेगा शुक्र-शनि का दुर्लभ संयोग

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने लिंग रूप में अवतार लिया था। इस बार ये पर्व 21 फरवरी, शुक्रवार को है।

उज्जैन. 21 फरवरी की शाम 5.36 बजे तक त्रयोदशी तिथि रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। महाशिवरात्रि पर शिवजी की रात्रि पूजा का विशेष महत्व है, इसलिए चतुर्दशी युक्त रात्री यानी 21 फरवरी को ही ये पर्व मनाया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद शनि और शुक्र का दुर्लभ योग बन रहा है।

1903 में दुर्लभ योग बना था
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस साल महाशिवरात्रि पर शनि स्वयं की राशि मकर में और शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा। ये एक दुर्लभ संयोग है। 2020 से पहले 25 फरवरी 1903 को भी ठीक ऐसा ही योग बना था। इस साल गुरु भी अपनी स्वराशि धनु राशि में स्थित है। इस योग में शिव पूजा करने पर शनि, गुरु, शुक्र के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है।

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महाशिवरात्रि पर 28 साल बाद बनेगा विष योग
इस साल शनि ने 23 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश किया है। महाशिवरात्रि यानी 21 फरवरी पर शनि के साथ चंद्र भी रहेगा। शनि-चंद्र की युति की वजह से विष योग बन रहा है। इसके पहले महाशिवरात्रि पर विष योग 2 मार्च 1992 को बना था।

बुधादित्य और सर्प योग भी रहेंगे महाशिवरात्रि पर
21 फरवरी को बुध और सूर्य कुंभ राशि में एक साथ रहेंगे, इस वजह से बुध-आदित्य योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य रहेंगे, इस वजह से सर्प योग भी बन रहा है। महाशिवरात्रि पर राहु मिथुन राशि में और केतु धनु राशि में रहेगा। शेष सभी ग्रह राहु-केतु के बीच रहेंगे। सूर्य और बुध कुंभ राशि में, शनि और चंद्र मकर राशि में, मंगल और गुरु धनु राशि में, शुक्र मीन राशि में रहेगा। सभी ग्रह राहु-केतु के बीच होने से सर्प योग बनेगा।

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