दक्षिण दिशा का सबसे अधिक चमकने वाला तारा है अगस्त्य, 7 सितंबर को होगा उदय

7 सितंबर, मंगलवार को अगस्त्य तारा उदय हो जाएगा। आमतौर इस घटना पर कोई ध्यान नही देता, लेकिन ज्योतिष और खगोल विज्ञान के नजरिए से यह एक महत्वपूर्ण घटना है। इसी अगस्त्य तारा के सहयोग से सूर्य अपनी किरणों से समुद्र का वाष्पीकरण करता है। वाष्पीकरण के बाद वर्षा होती है।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अगस्त्य तारे का महत्व काफी अधिक है। सूर्य जनवरी में वाष्पीकरण समाप्त कर देता है। लेकिन अगस्त्य तारे की वजह से मई के प्रथम सप्ताह तक समुद्र के जल का वाष्पीकरण होता है। प्राचीन काल से यह प्रक्रिया सतत चल रही है।

दक्षिण का सबसे चमकदार तारा
पं. शर्मा के अनुसार, 21 मई 2021 को ये तारा अस्त हुआ था। दक्षिण दिशा में सबसे चमकदार अगस्त्य तारा दिखाई देता है। ये तारा आकाशगंगा में सबसे चमकीले तारों में दूसरे नंबर का तारा है। जनवरी मध्य से अप्रैल मध्य तक के महीनों में पूरे भारत में इस तारे को दक्षिण दिशा में चमकते आसानी से देखा जा सकता है। उस समय इसके आस-पास और कोई चमकीला तारा नहीं होता।

पृथ्वी से 180 प्रकाश वर्ष दूर
भारत के दक्षिणी क्षितिज पर दिखाई देने वाला यह तारा अन्टार्कटिका में सिर के ऊपर दिखाई देता है। यह तारा पृथ्वी से करीब 180 प्रकाश वर्ष दूर है। एक प्रकाशवर्ष करीब 94 खरब 63 अरब किमी के बराबर होता है। अगस्त्य तारा सूर्य से लगभग करीब सौ गुणा बड़ा है। अगस्त्य तारा दक्षिण में उगता है। यह मई में अस्त हो जाता है। अब यह 7 सितंबर को उदय हो रहा है।

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मई तक उदय रहता है ये तारा
- सूर्य और अगस्त्य तारे की संयुक्त उष्मा पृथ्वी के दक्षिणी भाग पर पड़ती हैं। सारे समुद्र दक्षिण में ही हैं। इन दोनों की उष्मा के कारण समुद्र से वाष्पीकरण होता है।
- सूर्य जनवरी में उत्तरायण हो जाता है, लेकिन अगस्त्य तारा मई तक उदय रहता है, तब तक वाष्पीकरण की प्रक्रिया चलती रहती है।
- इसे ही अगस्त्य का समुद्र पीना कहा जाता है। पुराणों में कथा आती है कि महर्षी अगस्त्य ने क्रोधित होकर समुद्र को पी लिया था।
- यह एक पर्यावरणीय घटना है। जैसे ही मई में अगस्त्य तारा अस्त होता है, इसी के साथ समुद्र से वाष्पीकरण की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है।
- उसके बाद से मई माह के अंतिम सप्ताह से वर्षा शुरू होने लगती है। अगस्त्य तारे के अस्त होने के बाद मई के अंतिम सप्ताह से मानसून केरल में सक्रिय हो जाता है और जून के अंतिम सप्ताह तक उत्तर भारत तक आ जाता है।
 

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