हिंदू धर्म में शुभ-अशुभ योग की विशेष मान्यता है। किसी भी काम को करते समय मुहूर्त जरूर देखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों के कुछ शुभ-अशुभ योग हर महीने बनते हैं। इन्हीं में से एक है पंचक (Panchak)। मान्यता है कि पंचक के 5 दिन बहुत अशुभ होते हैं और इसमें कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए,जबकि ऐसा है नहीं।
उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इनके अलावा और भी शुभ कार्य जैसे मुंडन, दुकान का उद्घाटन, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य भी इस दौरान किया जा सकते हैं। इन शुभ योगों से सफलता व धन लाभ का विचार किया जाता है। पंचक के नक्षत्र में कई शुभ योग भी बनते हैं जो विशेष कार्य सिद्धि के लिए जाने जाते हैं। आगे जानिए पंचक से जुड़ी खास बातें...
क्या है पंचक?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। यानी चंद्रमा जब धनिष्ठा से लेकर रेवती नक्षत्र तक का सफर तय करता है तो इस समय को पंचक कहा जाता है। इस बार पंचक का आरंभ 12 नवंबर, शुक्रवार की सुबह लगभग 8 बजे से हो रहा है, जो 16 नवंबर, मंगलवार की रात लगभग 9.30 बजे तक रहेगा। शुक्रवार को शुरू होने के कारण ये चोर पंचक कहलाएगा।
जानिए पंचक के दौरान किस नक्षत्र में कौन-सा शुभ कार्य किया जा सकता है…
1. घनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चल संज्ञक माने जाते हैं। इनमें चलित काम करना शुभ माना गया है जैसे- यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करना।
2. उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करने चाहिए जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य।
3. रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक होने से इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।
4. पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं।
5. पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध।