4 दिसंबर यानी आज ग्रहों की जो स्थिति बन रही है वैसी ही 23 नवंबर 1946 को बनी थी। यानी 75 साल बाद अगहन महीने की शनैश्चरी अमावस्या पर सूर्य ग्रहण होने के साथ ही वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध और केतु के साथ पंचग्रही योग भी बन रहा है।
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में 1 या 2 बार ही शनिश्चरी अमावस्या का योग बनता है। इस बार ये योग 4 दिसंबर को बन रहा है। ज्योतिषियों की माने तो इस बार ग्रहों की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी 23 नवंबर 1946 को बनी थी। उस समय भी शनि अमावस्या पर वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध और केतु के साथ पंचग्रही योग बना था। साथ ही सूर्यग्रहण भी था। सितारों की इस स्थिति का असर देश-दुनिया सहित सभी राशियों पर पड़ेगा। इस बार का सूर्य ग्रहण भी देशभर में नहीं दिखेगा। इसलिए इसका सूतक मान्य नहीं होगा। जिससे पूरे दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान किए जा सकेंगे।
विदेशों में सूर्यग्रहण लेकिन भारत में मान्य नहीं
शनैश्चरी अमावस्या पर विदेशों में सूर्य ग्रहण रहेगा। ये ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। ज्योतिषीयों का कहना है कि जो ग्रहण नहीं दिखता है, उसकी मान्यता नहीं रहती है। यानी उसका धार्मिक महत्व नहीं रहता है। इसलिए शनैश्चरी अमावस्या पर पूरे दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ की जा सकती है। साथ ही इस दिन मंदिर भी बंद नहीं होने से दर्शन और विशेष पूजा भी की जाएगी। इस ग्रहण के कारण मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों को विशेष सावधानी रखनी होगी। अन्य राशियों के लिए ये सूर्य ग्रहण सामान्य फल देने वाला रहेगा।
वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, मंगल बुध और केतु
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि विशेष पर्व काल में अगर ग्रहों की युति बनती है तो यह दान, पुण्य व अनुष्ठान आदि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार 4 दिसंबर को शनैश्चरी अमावस्या पर पंचग्रही युति बन रही है। इनमें वृश्चिक राशि में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध और केतु की युति रहेगी। इसी युति में मंगल स्व राशि में रहेगा और शनि भी खुद की राशि में मौजूद है।
ग्रहों का असर
इन ग्रहों के प्रभाव से देश में बड़े राजनीतिक बदलाव और कूटनीतिक क्षेत्र में सफलता का संकेत मिल रहे हैं। देश में मौसमी बदलाव से लोगों की परेशानियां बढ़ सकती है। विवाद, दुर्घटनाएं और आंदोलन बढ़ सकते हैं। प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। देश में कई जगह आगजनी की भी घटनाएं होने का अंदेशा बना रहेगा।
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