सार

जन्मकुंडली में शनि देव के विपरीत भाव में होने से जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आती ही रहती हैं। विशेषतः शनि की साढ़ेसाती, ढय्या, महादशा में यह समस्याए अपने चरम बिंदु पर पहुच सकती है।

उज्जैन. शनिदेव कर्म प्रधान देव है, वह दंडाधिकारी भी है, अर्थात कर्म में की गई अनियमिता या त्रुटि का दंड शनिदेव अपने प्रभावकाल में लोगों को अवश्य प्रदान करते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और श्री गजानन अनुष्ठान केंद्र के प्रमुख मितेश पांडे के अनुसार, शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के शनिश्चरी अमावस्या एक बहुत ही शुभ योग है जो इस बार 4 दिसंबर को बन रहा है। आगे जानिए इस दिन आप कौन-कौन से उपाय कर सकते हैं…

1. शनिश्चरी अमावस्या पर शनि से संबंधित वस्तुओं जैसे मीठा तेल, उडद, लोहा, काजल, चप्पल, कंबल, नीलम रत्न, काली गाय आदि का दान जरूरतमंदों को करें।
2. शनिश्चरी अमावस्या पर कामगार वर्ग (सर्वेंट क्लास) के लोगों की यथा शक्ति मदद करे, इनका भूलकर भी कभी अपमान कभी न करें।
3. शनिश्चरी अमावस्या पर योग्य ब्राह्मण से शनिदेव के वैदिक, पौराणिक, बीज या तंत्रोक्त मन्त्र का 23000 की संख्या में जाप करवाएं एवं घी एवं काले तिल से दशांश हवन शमी की हवन संविधा में करवाएं।
4. "ॐ शं शनैश्चराय नमः" इस मंत्र का यथाशक्ति जाप शनिश्चरी अमावस्या के दिन करें।
5. शनिश्चरी अमावस्या पर चींटी, मछली, कौवे आदि जीवों के भोजन की व्यवस्था करें। इस दिन गलती से भी आप कोई जीव हिंसा न करें।
6. कुष्ठ रोगी, गरीब, भिक्षुकआदि को खाने-पीने का सामान एवं वस्त्र इत्यादि का दान करें।
7. शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव के इन 10 नामों का जाप करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।। 
अर्थात:- 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7- सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद, 10- पिप्पलाद।
8. भगवान हनुमान जी शनिदेव के प्रिय मित्र है अतः शनैश्चरी अमावस्या पर हनुमान जी के मंदिर में सरसों के तेल से युक्त चार बत्ती वाला आटे का दीपक पीपल के पत्ते पर रख कर प्रज्वलित करें एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें।
9. शनिदेव भगवान शिव की उपासना से भी अत्यंत प्रसन्न होते है। अतः शनिश्चरी अमावस्या पर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करने से भी शनि जनित पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होती है।
10. शनिश्चरी अमावस्या पर पीपल एवं शमी के वृक्ष का पूजन एवं संरक्षण करने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होगी।

 

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