Janm Kundali के ये 10 योग बनाते हैं मालामाल, थोड़े ही प्रयासों से मिल जाती है सफलता

ज्योतिष (Astrology) के अनुसार, कुछ लोगों की जन्म कुंडली (Horoscope) में धन लाभ के कई विशेष योग बनते हैं। जिसके कारण ये लोग जिस भी किसी काम में हाथ डालते हैं, उसमें इन्हें सफलता मिलती है और ये बहुत कम प्रयास में भी काफी सारा धन अर्जित कर लेते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 19, 2021 4:43 AM IST / Updated: Aug 19 2021, 12:16 PM IST

उज्जैन. कई बार देखने में आता है कि कुछ लोग बहुत कम प्रयास में ही काफी अधिक धन कमा लेते हैं जबकि कुछ लोग वहीं काम करते हुए मेहनत करने के बाद भी पर्याप्त धन नहीं कमा पाते। इसके कई कारण हो सकते हैं। ज्योतिष (Astrology) के अनुसार, कुछ लोगों की जन्म कुंडली में धन लाभ के कई विशेष योग बनते हैं। जिसके कारण ये लोग जिस भी किसी काम में हाथ डालते हैं, उसमें इन्हें सफलता मिलती है और ये बहुत कम प्रयास में भी काफी सारा धन अर्जित कर लेते हैं। आज हम आपको जन्म कुंडली के कुछ ऐसे ही प्रमुख योगों के बारे में बता रहे हैं… 

महाधन योग
दशमेश एवं एकादशेश की युति दसवें भाव में हो तो यह योग बनता है। यदि यह योग कुंडली में हो तो व्यक्ति योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है।

धनमालिका योग
दूसरे भाव से लगातर सूर्यादि सातों ग्रह सातों राशि में स्थित हों तो यह योग होता है। यह योग व्यक्ति को जल्दी ही धनवान बना देता है।

अति धनलाभ योग
लग्नेश दूसरे भाव में स्थित हो, धनेश ग्याहरवें भाव में स्थित हो और एकादशेश लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति कम प्रयासों में आसानी से बहुत धन अर्जित करता है।

बहु धनलाभ योग
लग्नेश दूसरे भाव में और द्वितीयेश लग्न में स्थित हो या ये दोनों ग्रह शुभ भाव में एक साथ बैठे हों तो व्यक्ति बहुत धन अर्जित करता है।

आजीवन धनलाभ योग
एक से अधिक ग्रह दूसरे भाव में स्थित हों और द्वितीयेश एवं गुरु बली हो या उच्च या स्वराशि में हो तो व्यक्ति जीवन पर्यन्त धन अर्जित करता रहता है।

धन प्राप्ति योग
द्वितीयेश एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति बहुत धन कमाता है।

विष्णु योग
नवमेश, दशमेश और नवांश कुण्डली का नवमेश दूसरे भाव में स्थित हो तो यह योग व्यक्ति को बहुत धन अर्जित कराता है।

वासुमति योग
गुरु, शुक्र, बुध व चन्द्र लग्न से तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में स्थित हों तो व्यक्ति अत्यधिक धनी होता है।

धनयोग
यदि चन्द्र व मंगल की युति शुभराशि में हो तो व्यक्ति बहुत धन कमाता है।

शुभकर्तरी योग
शुभ ग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन्नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है।

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