देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य, 2 महीने में बन रहे हैं विवाह के 15 शुभ मुहूर्त

Published : Nov 13, 2021, 10:05 AM IST
देवउठनी एकादशी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य, 2 महीने में बन रहे हैं विवाह के 15 शुभ मुहूर्त

सार

धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। इस समय से पूरे चार माह तक वे योग निद्रा में रहते हैं। इस अवधि को चतुर्मास कहा जाता है।

उज्जैन. चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्य बंद रहते हैं और विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं रहता है। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं पुन: सृष्टि का संचालन करते हैं। इस दिन तुलसी-शालिग्राम के विवाह के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरूआत होती है। इस बार ये तिथि 15 नवंबर, सोमवार को है। इस दिन से लेकर नवंबर के अंत तक शादी के लिए सात शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

15 नवंबर को अबूझ मुहूर्त
नवंबर माह में पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर, सोमवार को है। इस दिन विष्णु जी के विग्रह स्वरूप शालिग्राम जी और देवी तुलसी विवाह का विवाह किया जाता है। इसलिए इस दिन विवाह के लिए बहुत ही श्रेष्ठ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। जानकारों के अनुसार, यदि किसी के विवाह के लिए शुभ मुहूर्त न मिल रहा हो तो इस दिन विवाह संपन्न किया जा सकता है।

नवंबर माह में विवाह के शुभ मुहूर्त
15 नवंबर, सोमवार
16 नवंबर, मंगलवार
20 नवंबर, शनिवार
21 नवंबर, रविवार
26 नवंबर, शुक्रवार
28 नवंबर, रविवार
29 नवंबर, सोमवार
30 नवंबर, मंगलवार

दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त
1 दिसंबर, बुधवार
2 दिसंबर, गुरुवार
5 दिसंबर, रविवार
7 दिसंबर, मंगलवार
11 दिसंबर, शनिवार
12 दिसंबर, रविवार
13 दिसंबर, सोमवार 

दिसंबर में लगेगा खरमास
16 दिसंबर, गुरुवार को सूर्य के धनु राशि में जाते ही खर मास शुरू हो जाएगा। ये खर मास 14 जनवरी, 2022 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। यानी विवाह, गृह प्रवेश आदि सभी कार्यों पर रोक लग जाती है। धनु गुरु ग्रह की राशि है। जब भी सूर्य गुरु की राशि में होता है तो उस समय को खरमास कहते हैं। ऐसा साल में 2 बार होता है जब सूर्य धनु और मीन राशि में होता है तब। धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि में होते हैं उनकी सेवा में लीन रहते हैं, इसलिए इस दौरान शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है।

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