Facts Of Jamvant: किसके पुत्र थे जामवंत, कैसे हुआ था उनका जन्म, क्या वे आज भी जीवित हैं?

Facts Of Jamvant: रामायण में अनेक प्रमुख पात्रों का वर्णन मिलता है। जामवंत भी इनमें से एक थे। रामायण में इन्हें ऋक्षराज कहा गया है यानी भालुओं का राजा। जब श्रीराम ने लंका पर हमला किया तो जामवंत ने उन्हें कई बार सही सलाह दी थी।
 

Manish Meharele | Published : Dec 28, 2022 3:00 AM IST

उज्जैन. रामायण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक है। इस ग्रंथ में भगवान श्रीराम के पूरे जीवन के बारे में बताया गया है। इस ग्रंथ की रचना आदि कवि वाल्मीकि ने की है, जो श्रीराम के ही समकालीन थे। (Facts Of Jamvant) इस ग्रंथ में अनेक ऐसे पात्र हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। ऋक्षराज जामवंत भी इन्हीं में से एक है। इनका वर्णन सर्वप्रथम सुग्रीव के साथ पढ़ने को मिलता है। जबस समय सुग्रीव अपने भाई बालि के डर से ऋष्यमूक पर्वत पर रह रहे थे, उस समय जामवंत उनके प्रमुख मंत्री थे। आगे जानिए ऋक्षराज जामवंत से जुड़ी खास बातें…

कैसे हुआ था ऋक्षराज जामवंत का जन्म?
ऋक्षराज जामवंत के जन्म को लेकर कई कथाएं धर्म ग्रंथों में बताई गई है। उसके अनुसार, एक बार परमपिता ब्रह्मा को जम्हाई आई और उसी से जामवंत का जन्म हुआ। इनकी पत्नी का नाम जयवंती बताया जाता है। इनका वर्णन सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग तीनों में मिलता है। जामवंत ने देवासुर संग्राम में देवताओं का साथ दिया था और असुरों को पराजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जब पलक झपकते ही कर ली वामन भगवान की परिक्रमा
एक कथा के अनुसार, सतयुग में जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और उन्होंने जब राजा बलि से तीन पग भूमि दान में लेने के लिए अपना स्वरूप बढ़ाया, उस समय जामवंतजी ने वामन भगवान की 7 परिक्रमा पूरी कर ली थी। सतयुग के बाद उनका वर्णन त्रेतायुग में मिलता है, जब वे सुग्रीव के मंत्री थे। जब सुग्रीव और श्रीराम की मित्रता हो गई तब जामवंत जी ने कई महत्वपूर्ण मौकों पर श्रीराम का मार्गदर्शन किया था।

हनुमानजी को याद दिलाया उनका बल
जब हनुमान आदि वानर माता सीता की खोज में निकले और उनके न मिलने पर हताश हो गए तब संपाति नामक गिद्ध ने उन्हें बताया की सीता को राक्षसराज रावण लंका ले गया है। उस समय ये संकट पैदा हो गया कि सौ योजन समुद्र पारकर लंका कौन जाएगा। उस समय ऋक्षराज जामवंत बूढ़े हो चुके थे, इसलिए उन्होंने इस काम में असमर्थता व्यक्त की। जामवंत जी ने ही हनुमानजी को उनकी शक्ति के बारे में बताया और इसके बाद ही वे लंका जाकर माता सीता का पता लगाकर आए।

द्वापरयुग में किया श्रीकृष्ण से युद्ध
द्वापरयुग में जब भगवान विष्णु ने कृष्ण रूप में जन्म लिया, उस समय उन पर मणि चोरी करने का आरोप लगा। उस मणि की खोज में श्रीकृष्ण जंगल में पहुंचें। वहां उनका सामना ऋक्षराज जामवंत से हुआ। श्रीकृष्ण और ऋक्षराज जामवंत के बीच भीषण युद्ध हुआ और अंत में श्रीकृष्ण की विजय हुई। जामवंत समझ गए कि ये कोई साधारण मनुष्य नहीं बल्कि साक्षात विष्णु के अवतार हैं। उन्होंने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण से करवा दिया और वो मणि भी उन्हें सौंप दी।

क्या आज भी जीवित है जामवंत?
द्वापरयुग में श्रीकृष्ण से युद्ध करने के बाद किसी ग्रंथ में ऋक्षराज जामवंत का कोई वर्णन नहीं मिलता और न ही उनका नाम अष्ट चिरंजीवियों में है। इस बात से पता चलता है कि श्रीकृष्ण से अपनी बेटी जामवंती का विवाह करवाने से बाद ऋक्षराज जामवंत अपने धाम लौट गए यानी वे पृथ्वी पर निवास नहीं करते। हालांकि इस बात को लेकर भी अलग-अलग मत हैं।


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