59 साल बार Ganesh Chaturthi पर बन रहा है ग्रहों का दुर्लभ योग, ब्रह्म योग में होगी गणेश स्थापना

धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरूआत होती है। विघ्नहर्ता श्रीगणेश का जन्म भाद्रपद चतुर्थी तिथि को दोपहर में हुआ था। इसलिए इस दिन की तिथि को गणेश जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन घर-घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है। 

Asianet News Hindi | Published : Sep 7, 2021 5:26 PM IST / Updated: Sep 08 2021, 10:50 AM IST

उज्जैन. इस बार 10 सितंबर, शुक्रवार से 10 दिवसीय गणेश उत्सव शुरू हो जाएगा। इस बार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) चित्रा नक्षत्र में आ रही है। इस दिन चंद्र तुला राशि में शुक्र के साथ रहेगा। सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध अपनी राशि कन्या में, शनि अपनी राशि मकर में और शुक्र अपनी राशि तुला में रहेगा। ये चार ग्रह अपनी-अपनी राशि में रहेंगे। गुरु कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री हैं।

1962 में बने थे ऐसे योग
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक 59 साल पहले 3 सितंबर 1962 को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) चित्रा नक्षत्र से शुरू हुई थी। उस समय भी चंद्र शुक्र के साथ तुला राशि में था। सूर्य, बुध, शुक्र और शनि, ये चारों ग्रह अपनी-अपनी राशि में स्थित थे। इस वर्ष भी ऐसे ही ग्रह योग होने से सभी राशियों के लिए समय अनुकूल रहेगा।

ब्रह्म योग में होगी गणेश स्थापना
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2021) 9 सितंबर रात्रि 12:17 से प्रारंभ होकर 10 सितंबर रात्रि 10:00 बजे तक रहेगी। 
- इस बार गणपति स्थापना चित्रा नक्षत्र के ब्रह्म योग में होगी। 
- चित्रा नक्षत्र दोपहर 12:58 तक रहेगा। उसके बाद स्वाती नक्षत्र प्रारंभ होगा। 
- साथ ही इस दिन रवि योग भी सुबह 6:01 से लेकर दोपहर 12:58 तक रहेगा। 
- रवि योग के योग में गणेश जी की पूजा -अर्चना भक्तों को सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करेंगी। 
- इस दिन पाताल लोक की भद्रा भी रहेगी। जिस का समय सुबह 11:08 से रात्रि 9:57 तक होगा। 
- कहीं-कहीं भद्राकाल को शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है, लेकिन गणेश जी का एक नाम विघ्न विनाशक भी है। इसलिए इनकी स्थापना भद्रा की वजह से प्रभावित नहीं होगी।

 

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