मकर और धनु राशि में 105 दिन तक वक्री रहेगा गुरु, क्या होगा देश और 12 राशियों पर इसका असर?

14 मई, गुरुवार की रात से गुरु मकर राशि में वक्री हो जाएगा। 29 जून 2020 तक यानी 46 दिनों तक गुरु इस राशि में ही वक्री रहेगा। उसके बाद वक्री रहते ही यह धनु में चला जाएगा। 

उज्जैन. धनु गुरु की स्वयं के स्वामित्व वाली राशि है। धनु राशि में गुरु 76 दिनों वक्री रहने बाद 13 सितंबर को धनु में ही मार्गी होगा। इस तरह गुरु कुल 105 दिनों के लिए वक्री होगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 20 नवंबर को फिर से गुरु मकर राशि में प्रवेश करेगा, जो उसकी नीच की राशि है। जानिए देश और 12 राशियों पर कैसा होगा गुरु के वक्री होने का प्रभाव-

ऐसा होगा देश पर असर
पं. शर्मा के अनुसार गुरु के वक्री हो जाने से 29 जून को शनि-गुरु की युति भी टूट जाएगी। धनु राशि में फिर से गुरु-केतु का योग बनेगा। स्वतंत्र भारत की कुंडली के मुताबिक देश की राशि कर्क है। गुरु के वक्री हो जाने देश में फैला भय की समाप्त होगी। अस्थिरता समाप्त होगी। सरकार का विरोध करने वाले ज्यादा सक्रिय होंगे। पुराने रोग उजागर हो सकते हैं। नए रोगी कम संख्या में बढ़ेंगे। व्यापार में सुधार शुरू होगा।

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12 राशियों पर गुरु का असर
मेष-
गुरु दशम है एवं वक्री काल में वह अनुकूल बना रहेगा। वक्री होकर धनु में आने से वह नवम होगा, अत: यह भी फायदा देने वाला हो सकता है। योजनाएं सफल होंगी। नौकरी में नए पद की प्राप्ति संभव है। हर गुरुवार को विष्णुजी को पुष्पहार चढ़ाएं।

वृषभ- गुरु की पूर्ण पंचम दृष्टि राशि पर बनी हुई थी, गुरु के वक्री होने से उसका प्रभाव कम हो सकता है। गुरु के धनु में जाने से यह दृष्टि समाप्त होगी। कारोबार में सावधानी रखें और वाहन प्रयोग में भी सावधान रहें। विष्णुजी के मंदिर में सवा किलो घी चढ़ाएं।

मिथुन- आठवां गुरु वक्री होने से राहत महसूस होगी। गुरु का प्रभाव कम होने से परेशानियों को अंत होगा और कामकाज में तेजी आएगी। न्यायालयीन और विवादित मामलों में विजय प्राप्त होगी। आय के स्रोत प्राप्त होंगे। विष्णुजी की पूजा करें और फल समर्पित करें।

कर्क- गुरु की पूर्ण सप्तम दृष्टि वक्री होने से विश्वास की कमी कर सकती है। आय का स्रोत बना रहेगा। बाधाएं उत्पन्न होंगी और सहयोग करने वाले पीछे हटेंगे। कार्य स्थल पर भी विवाद संभव है। परिवार से सहयोग मिलता रहेगा। विष्णुजी के सामने घी का दीपक रोज जलाएं।

सिंह- षष्ठम गुरु के वक्री होने से राशि पर कुछ नेगेटिव प्रभाव नहीं पड़ेगा। काम तेजी के साथ संभव हो पाएंगे। परिवार और साझेदार सहयोग प्रदान करेंगे। अधिकारी भी अनुकूल बने रहेंगे। यात्रा का योग है। वाहनादि प्रयोग में सावधानी रखना होगी। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें।

कन्या- गुरु की नवम पूर्ण दृष्टि राशि पर थी। गुरु के वक्री होने से उसका प्रभाव कुछ कम हो सकता है। यह समय गलतियों को सुधारने को होगा। कुछ निकट के लोगों को आप भूल गए हैं, उनसे मिलें और व्यवहार स्थापित करें। विष्णुजी को शहद चढ़ाएं।

तुला- इस राशि से गुरु चतुर्थ भाव में है जो मुश्किलें खड़ी कर रहा था, लेकिन गुरु के वक्री होने से इस राशि को फायदा होने की पूरी संभावनाएं बन रही हैं। लाभदायक योग बनेंगे और नुकसान की भरपाई करने सफल होंगे। गुरुवार को चने का दान करें और विष्णुजी को हल्दी चढ़ाएं।

वृश्चिक- तृतीय गुरु पूर्व से ही अनुकूल था और वक्री होने के बावजूद वह नुकसानदायक नहीं होगा। हर और से राहत रहेगी और नए कार्यों की प्राप्ति होगी। नई जगहों पर जाने को मिलेगा और रिश्तेदारों से मुलाकात होगी। केले की जड़ में विष्णुजी का पूजन करें।

धनु- द्वितीय गुरु पूर्व से और बेहतर फल देने वाला होगा। कुंवारों को विवाह प्रस्ताव की प्राप्ति होगी और अटके धन की प्राप्ति होगी। नए कारोबार में भी रूचि हो सकती है। साझेदारों और मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। टूटी दोस्ती फिर से स्थापित होगी। विष्णुजी को केले चढ़ाएं।

मकर- राशि में वक्री गुरु हालांकि किसी प्रकार से नुकसानदायक नहीं है। धर्म कार्यों में व्यय होने की संभावना रहेगी। कार्य में मन पूर्व की तरह लगेगा तथा सफलताएं जारी रहेंगी। नए मकान आदि खरीदने का मन बन सकता है। विष्णुजी को हल्दी मिश्रित जल अर्पण करें।

कुंभ- द्वादश गुरु नुकसानदायक हो रहा था, लेकिन अब वह वक्री होने से पुराने नुकसान की भरपाई कराएगा साथ ही जो असफलताएं मिलीं, उन कार्यों को पुन सफल बनाने का प्रयास करेगा। आत्मविश्वास स्थापित होगा। नई योजनाएं सफल होंगी तथा धनलाभ होगा।

मीन- वक्री गुरु एकादश है जो किसी प्रकार से हानिकारक नहीं है, लाभ देने की स्थिति में है। गुरु के मार्गी और वक्री दोनों ही स्थिति में लाभ बना रहेगा। कारोबार की नई योजनाएं बनेंगी तथा धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका मिलेगा। विष्णुजी को वस्त्र अर्पित करें।

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