10 से 17 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, इस दौरान नही करने चाहिए शुभ कार्य, जानिए क्या है इसका कारण?

इस बार 17 फरवरी से फाल्गुन मास का आरंभ हो चुका है। इस महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन यानी चैत्र महीने के पहले दिन होली (Holi 2022) खेली जाती है। हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2022 9:18 AM IST

उज्जैन. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक (holashtak 2022) लग जाता है। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन (holika dahan) तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। हालांकि इन 8 दिनों तक कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन देवी देवता की आराधना के लिए यह बहुत ही शुभ दिन माने जाते हैं। आगे जानिए इस बार कब से कब तक रहेगा होलाष्टक और इससे जुड़ी खास बातें…
 

कब से कब तक लगेगा होलाष्टक?
होलाष्टक 10 मार्च 2022, गुरुवार से लेकर 17 मार्च 2022, गुरुवार तक रहेगा। मान्यता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करना अपशकुन होता है। होलाष्टक से होली और होलिका दहन की तैयारी शुरु हो जाती है। 

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होलाष्टक में क्यों नहीं होते शुभ कार्य?
होलाष्टक के 8 दिनों को शुभ कार्य नहीं करने के पीछे पौराणिक कथा है जिसके अनुसार कामदेव द्वारा भगवान शिव की तपस्या भंग करने के कारण फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि पर क्रोध में आकर कामदेव को भस्म कर दिया था। अन्य कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर पाने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए इन आठ दिनों में कठिन यातनाएं दी थीं।  इसलिए होलाष्टक काल को विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन समारोह आदि जैसे शुभ कार्यों को करने के लिए अशुभ माना जाता है। 

होलाष्टक पर न करें ये कार्य 
फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक लग जाता है। होलाष्टक लगते ही हिंदू धर्म से जुड़े सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।  चाहे कोई नया घर खरीदना हो या कोई नया व्यवसाय शुरू करना हो सभी शुभ कार्य रोक दिये जाते हैं। यदि इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो उनके अंतिम संस्कार के लिए भी शांति कराई जाती है। एक मान्यता अनुसार किसी भी नविवाहिता को अपने ससुराल की पहली होली नहीं देखनी चाहिए। 

होलाष्टक पर करें भगवान की आराधना 
होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है। इस दौरान अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अच्छी रहती है।


 

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