फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन यानी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा पर धुलेंडी (होली) खेली जाती है। इस बार 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 29 मार्च को होली खेली जाएगी।
उज्जैन. ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस दिन भद्रा दोपहर 1.37 तक रहेगी। इसके बाद शुभ योगों में होलिका दहन किया जा सकेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार, इस बार होली पर विशेष ज्योतिषीय योग निर्मित हो रहे हैं, जिनसे शुभ फलों की प्राप्ति होगा। 28 मार्च को पूर्णिमा रात 12.18 तक रहेगी। उत्तरा फाल्गुनी व हस्त नक्षत्र, वृद्धि योग, बुध प्रधान कन्या राशि का चंद्रमा, गुरु प्रधान मीन राशि का सूर्य व शनि प्रधान मकर राशि के गुरु में प्रदोष काल मे होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और अमृत योग भी बन रहे हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. रामचंद्र वैदिक के अनुसार, होलिका दहन के समय की हवा की दिशा से भविष्य का शुभाशुभ भी जाना जा सकता है। होली दीपन के समय पूर्व दिशा का प्रभाव शुभ, आग्नेय कोण का आगजनी कारक, दक्षिण का दुर्भिक्ष व पीड़ाकारक, नैऋत्य का फसलों के लिए हानिकारक, पश्चिम का सामान्य, वायव्य कोण का चक्रवार, पवनवेग व आंधीकारक, उत्तर व ईशान कोण का मेघ गर्जना सूचक है। यदि होलिका दहन के समय हवा का प्रवाह चतुष्कोणीय हो तो राष्ट्र संकट कारक होता है।
होली के बारे में ये भी पढ़ें
21 से 28 मार्च तक रहेगा होलाष्टक, जानिए इससे जुड़ी कथा और इन 8 दिनों में क्या करें-क्या नहीं