हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत किया जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व माना गया है। इसी क्रम में माघ महीने के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) व्रत किया जाता है।
उज्जैन. इस बार एकादशी तिथि दो दिन आ रही है, इसलिए व्रत किस दिन करना चाहिए। इसको लेकर भ्रम की स्थिति बन रही है। विद्वानों का मत है कि एकादशी की उदया तिथि शनिवार को रहेगी, इसलिए ये व्रत शनिवार को किया जाना चाहिए। जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2022) पर व्रत और दान के साथ ही भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। इस एकादशी का व्रत करने से हर तरह की परेशानियां और जाने-अनजाने में किए गए पाप खत्म हो जाते हैं।
11 फरवरी से शुरू होगी एकादशी तिथि
11 फरवरी, शुक्रवार को एकादशी तिथि दोपहर लगभग 1.30 पर शुरू होगी जो कि अगले दिन यानी 12 फरवरी को शाम करीब 4.20 तक रहेगी। इस तरह शनिवार को सूर्योदय के वक्त और करीब पूरे दिन एकादशी तिथि होने से इस दिन व्रत और पूजा करने का विधान ग्रंथों में बताया गया है। वहीं एकादशी तिथि में तिल दान के लिए शुक्र और शनिवार यानी दोनों दिन खास रहेंगे।
क्यों कहा जाता है जया एकादशी?
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और तिल दान के साथ ही तुलसी पूजा का भी महत्व है। इस एकादशी को व्रत करने से मोक्ष मिलता है यानी दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता। इसलिए इसे अजा और जया कहा जाता है। कुछ ग्रंथों में इसे भीष्म एकादशी (Bhishma Ekadashi 2022) भी कहा गया है। इस तिथि के तीन दिन पहले ही यानी अष्टमी तिथि पर भीष्म पितमाह ने प्राण त्यागे थे और एकादशी तिथि पर उनके निमित्त उत्तर कार्य किया गया था।
दान से मिलता है कई यज्ञों का फल
माघ महीने के स्वामी भगवान विष्णु हैं और एकादशी तिथि भी विष्णुजी को समर्पित व्रत होने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। इस तिथि पर व्रत और पूजा के साथ ही जरुरतमंद लोगों को तिल, गर्म कपड़े और अन्न का दान करने से कई यज्ञों का फल मिलता है। ऐसा करने से पूरे साल की सभी एकादशी तिथियों के व्रत का भी पुण्य मिलता है।
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