Karwa chauth 2021: करवा चौथ पर बन रहे हैं सौभाग्य बढ़ाने वाले 6 शुभ योग, ग्रहों की भी बन रही है विशेष स्थिति

इस बार महिलाओं का सबसे प्रिय त्योहार करवा चौथ (karwa chauth 2021) व्रत 24 अक्टूबर, रविवार को है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर 6 बड़े शुभ योग बन रहे हैं। ग्रहों की विशेष स्थिति बनने से इस दिन किए गए व्रत और पूजा-पाठ का कई गुना शुभ फल मिलेगा।

Asianet News Hindi | Published : Oct 22, 2021 12:08 PM IST

उज्जैन. करवा चौथ (karwa chauth 2021) भारतीय परंपरा का हिस्सा है। इसके बिना हिंदू धर्म के व्रत-त्योहार अधूरे से जान पड़ते हैं। कई हजार सालों से ये उत्सव पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक बना हुआ है। ये व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और शाम को चांद निकलने तक रखा जाता है। शाम को चंद्रमा का दर्शन कर के अर्घ्य देने के बाद पति के हाथ से पानी पीकर महिलाएं व्रत खोलती हैं। इस दिन श्रीगणेश, चतुर्थी माता और फिर चंद्र देव की पूजा होती है। इस बार करवा चौथ पर एक नहीं कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस बार करवा चौथ के पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस बार करवा चौथ पर कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं...

बन रहे हैं ये शुभ योग
इस दिन की शुरुआत उभयचरी, शंख, शुभकर्तरी, विमल और शश महापुरुष योग में होगी। साथ ही सूर्योदय और चंद्रोदय के वक्त तुला और वृष लग्न रहेंगे। ये दोनों शुक्र की ही राशियां हैं। ये सौभाग्य, समृद्धि और लंबी उम्र देने वाला शुभ संयोग है। इस दिन रविवार और भरणी नक्षत्र से प्रजापति नाम का एक और शुभ योग दिनभर रहेगा। सितारों की ये स्थिति इस पर्व को और खास बना रही है।

महाभारत काल से है परंपरा
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के पश्चात अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए। ये करवा चौथ का ही व्रत था।

पति के प्रति समर्पण का पर्व है करवा चौथ 
वास्तव में करवा चौथ का त्योहार भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन का प्रतीक है जो पति-पत्नी के बीच होता है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी।

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