जन्म कुंडली में गुरु धर्म, शिक्षा और बुध बुद्धि के देवता माने गए हैं। जिन लोगों की कुंडली में ये दोनों प्रभावी होते हैं, शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें सफलता मिलती है।
उज्जैन. कुंडली में इन दोनों ग्रहों की शुभ स्थिति तथा इनका लग्न, धन, विद्या, रोग, सेवा, कर्म, लाभ स्थान से किसी भी प्रकार युति, दृष्टि संबंध स्थापित होने पर व्यक्ति को अध्यापन यानी एज्युकेशन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो सकती है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही योगों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आपके एज्युकेशन के क्षेत्र में करियर बनने की संभावनाओं का पता चलता है।
1. यदि लग्न कुंडली के अतिरिक्त नवमांश, दशमांश, चतुर्विंशांश कुंडली में भी गुरु तथा बुध का युति तथा दृष्टि संबंध बने, तो व्यक्ति अध्यापन क्षेत्र में समृद्धि, संपत्ति अर्जित कर सकता है।
2. धन स्थान, सेवा स्थान, कर्म स्थान को अर्थ स्थान की संज्ञा दी गई है। इन स्थानों व इनके स्वामियों का संबंध गुरु से बनने पर व्यक्ति एज्युकेशन के क्षेत्र द्वारा धन अर्जित करता है।
3. गुरु तथा बुध के मध्य स्थान परिवर्तन योग बनने पर सफलता प्राप्त करने की संभावना होती है। यह योग धन, पंचम, दशम व लाभ भाव के मध्य बनने पर अच्छी सफलता प्राप्त होती है और व्यक्ति संपत्ति तथा समृद्धि अर्जित करता है।
4. लग्न तथा चंद्र कुंडली से लग्नेश, पंचमेश, दशमेश का संबंध गुरु तथा बुध से बनने पर अध्यापन क्षेत्र द्वारा जीविका अर्जन हो सकता है।
5. यदि दशमेश के नवमांश का अधिपति गुरु हो, तो व्यक्ति गुरु के क्षेत्र में अध्यापन द्वारा जीविका प्राप्त कर सकता है।
6. लग्न कुंडली, नवमांश कुंडली, दशमांश कुंडली में गुरु व बुध का दृष्टि व युति संबंध बनने पर अध्यापन क्षेत्र में अच्छी सफलता मिल सकती है।
7. सूर्य का धन स्थान, पंचम, सेवा, कर्म में गुरु व बुध से संबंध सरकारी सेवा प्राप्त करने में सफलता प्रदान कर सकता है।
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