Kumbh Sankranti 2022: 13 फरवरी को सूर्य करेगा राशि परिवर्तन, बनेंगे 3 शुभ योग, खरीदारी करना भी रहेगा खास

13 फरवरी, रविवार को सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करने को कुंभ संक्रांति कहा जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार, कुंभ लग्न में संक्रांति (Kumbh Sankranti 2022) का पुण्यकाल होना शुभ रहेगा।

Asianet News Hindi | Published : Feb 11, 2022 4:05 AM IST

उज्जैन. स्थिर लग्न होने से इस समय किए गए शुभ कामों का फल स्थिर होता है। यानी स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होगा। पुरी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, इस दिन प्रीति और ध्वज नाम के 2 अन्य शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे ये दिन और भी खास हो जाएगा। 3 योगों की वजह से इस दिन प्रॉपर्टी, व्हीकल और अन्य चीजों की खरीदारी करना शुभ रहेगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार संक्रांति पर स्नान, दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन बनने वाले ग्रहों के योग के चलते ये तिथि और भी खास हो गई है।

बन रही है शुभ ग्रह स्थिति
कुंभ संक्रांति पर सूर्य अपने मित्र ग्रह बृहस्पति यानी गुरु से युति बनाएगा। साथ ही अपने मित्र ग्रह मंगल के नक्षत्र में रहेगा। इस संक्रांति पर्व पर सूर्य-शनि का अशुभ योग भी खत्म होगा। ग्रहों की ये स्थिति सभी के लिए शुभ फलदाई रहेगी। साथ ही तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से 3 शुभ योग बनने से इस पर्व पर हर तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी रहेगा।

स्नान-दान से मिलेंगे शुभ फल
रविवार को सूर्योदय से पहले सूर्य राशि बदलकर कुंभ में चला जाएगा। इसलिए रविवार को तीर्थ स्नान के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने और जरुरमंद लोगों को दान देने का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। क्योंकि इस दिन का स्वामी सूर्य होता है। इस दिन माघ महीने की द्वादशी तिथि होने से भी इस पर्व और महत्व बढ़ जाएगा। क्योंकि इस तिथि के स्वामी विष्णु हैं और ग्रंथों में सूर्य को भगवान विष्णु का ही स्वरूप मानकर सूर्य नारायण रूप में पूजा करने का विधान बताया है।

तिल का विशेष महत्व
सूर्य ग्रह सत्ता, प्रबंध, सरकार का स्वामी माना जाता है। इनकी पूजा करने से ऐश्वर्य अधिकार मिलते हैं। डॉ. मिश्र के मुताबिक संक्रांति के दिन तिल का खास महत्व रहता है। इस पर्व पर छह कर्म तिल से करने चाहिए। सबसे पहले तिल जल में डालकर और तिल तेल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के समय सूर्यदेव को मीठे जल में तिल डालकर अर्घ देना चाहिए। तिल का दान और फिर प्रसाद के रूप में तिल खाने चाहिए।
 

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