Mangala Gauri Vrat 2022: श्रावण मास में कब-कब किया जाएगा मंगला गौरी व्रत? जानिए तारीखें, पूजा विधि और महत्व

Published : Jul 05, 2022, 04:04 PM IST
Mangala Gauri Vrat 2022: श्रावण मास में कब-कब किया जाएगा मंगला गौरी व्रत? जानिए तारीखें, पूजा विधि और महत्व

सार

हिंदू धर्म में श्रावण (Shravan 2022) मास जिसे सावन भी कहते हैं का विशेष महत्व है। ये पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए प्रसिद्ध है। इस बार श्रावण मास का आरंभ 14 जुलाई से हो रहा है, जो 11 अगस्त तक रहेगा।

उज्जैन. श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat 2022) किया जाता है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा का विधान है। जय दुर्गा ज्योतिष सेवा संस्थान एवं अनुष्ठान केंद्र मंदसौर के ज्योतिषाचार्य पंडित यशवंत जोशी के अनुसार, जो भी विवाह योग्य कन्या ये व्रत करती है, उसे जल्दी ही मनचाहा पति मिलता है। विवाहित महिलाएं ये व्रत करें तो उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वैवाहिक जीवन की हर परेशानी इस व्रत को करने से दूर हो सकती है। इसलिए महिलाएं ये व्रत विशेष तौर पर करती हैं। आगे जानिए इस बार मंगला गौरी व्रत कब-कब किया जाएगा और इसकी पूजा विधि, महत्व आदि जानकारी…

श्रावण मास में कब-कब किया जाएगा मंगला गौरी व्रत? (Mangala Gauri Vrat 2022 Date)
पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को किया जाएगा। इस दिन ये व्रत सिद्धि योग से आरंभ होकर भौम प्रदोष तक रहेगा। दूसरा मंगला गौरी व्रत 26 जुलाई को मासिक शिवरात्रि के शुभ योग में किया जाएगा। इसके बाद 2 अगस्त को तीसरा मंगला गौरी व्रत नागपंचमी के शुभ योग में होगा। अंतिम मंगला गौरी व्रत 9 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन भी भौम प्रदोष का योग बन रहा है।

ये है मंगला गौरी व्रत की विधि (Mangala Gauri Vrat Vidhi)
- मंगला गौरी व्रत की सुबह स्नान आदि करने के योग विवाह योग्य कन्याएं और विवाहित महिलाएं स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद एक साफ स्थान पर लाल कपड़े बिछाकर चौकी सजाएं। 
- इस के ऊपर देवी पार्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। माता को कुंकुम, गंध, चावल, लाल फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चीजें चढ़ाएं। सुहाग की सभी सामग्री विशेष रूप से माता को अर्पित करें। 
- इसके बाद माता की आरती करें। पूरे दिन निराहार रहें और शाम को अपना व्रत पूर्ण करें। विधि-विधान पूर्वक ये व्रत करने से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं और सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
- इस प्रकार व्रत और पूजा करने से अविवाहित कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। वहीं विवाहित स्त्रियों को अखंड सौभाग्य, सुखी दांपत्य जीवन एवं पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। 
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