Morbi Bridge Collapse: 30 अक्टूबर, रविवार को जैसे ही गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन पूल टूटा, वैसे ही 43 साल पहले हुए एक ऐसे ही हादसे ही यादें ताजा हो गई। ये हादसा भी मोरबी में ही हुआ था। उस समय भी ग्रहण के आस-पास वो हादसा हुआ था, वर्तमान में भी यही स्थित बन रही है।
उज्जैन. 30 अक्टूबर, रविवार की शाम गुजरात के मोरबी वासियों के लिए कहर बनकर टूटी। मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज (Morbi Bridge Collapse) अचानक टूट गया। इस हादसे में 190 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और लगभग 70 से ज्यादा लोग घायल हैं। बताया जा रहा है कि जिस समय ये हादसा हुआ, उस समय उस पुल पर लगभग 500 लोग थे जो कि क्षमता से काफी अधिक थे। यही इस हादसे का कारण बना।
43 साल पहले ही मोरबी में हुआ था हादसा (Morbi Dam accident 1979)
मोरबी में हाल में हुआ हादसा पहला नहीं है, इसके पहले भी मोरबी में डैम टूटने से तबाही आई थी। उस समय भी हजारों लोग उस हादसे में मारे गए थे। ये घटना 11 अगस्त 1979 को है। बताते हैं कि अचानक हुई भारी बारिश के चलते अचानक मोरबी डैम का जल स्तर काफी बढ़ गया था और देखते ही देखते ही डैम टूट गया। डैम के पानी शहर में घुस गया और पूरा शहर श्मशान में बदल गया।
दोनों हादसे ग्रहण के आस-पास हुए
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, 22 अगस्त 1979 को सिंह राशि में सूर्य ग्रहण हुआ था और इसके बाद 6 सितंबर को कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण का संयोग बना था। ऐसी ही स्थिति इस बार भी बन रही है। हाल ही में दीपावली के ठीक एक दिन बाद यानी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण हुआ है और अब 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण होने जा रहा है।
क्या है ग्रहण और हादसों का संबंध?
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, बृहत्संहिता में ग्रहण के बारे में कई भविष्यवाणियां की गई हैं। इसके अनुसार, जब-जब एक पखवाड़े में यानी 15 दिन में 2 ग्रहण होते हैं तब-तब हादसों की वजह से जन-माल की हानि होती है। 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण के बाद ही लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हाल ही में बांग्लादेश में तूफान आया और साउथ कोरिया में हेलोवीन हादसा हुआ। इन दोनों घटनाओं में जान-माल की हानि हुई। इसके बाद मोरबी में पुल टूटने से सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी।
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