Papankusha Ekadashi 2022: पापांकुशा एकादशी 6 अक्टूबर को, पापों से छुटकारा दिलाता है ये व्रत

Published : Oct 05, 2022, 10:40 AM ISTUpdated : Oct 06, 2022, 08:19 AM IST
Papankusha Ekadashi 2022: पापांकुशा एकादशी 6 अक्टूबर को, पापों से छुटकारा दिलाता है ये व्रत

सार

Papankusha Ekadashi 2022 Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की एकादशी पर व्रत-पूजा की जाती है।  इस तरह साल में 24 एकादशी आती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है।   

उज्जैन. इस बार 6 अक्टूबर, गुरुवार को अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे पापांकुशा एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी पर व्रत करने से व्यक्ति के सभी जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है। इस एकादशी का महत्व कई धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व और कथा…

ये है शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2022 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 5 अक्टूबर, बुधवार की दोपहर 12 बजे से शुरू होगी जो 6 अक्टूबर, गुरुवार की सुबह 9.40 तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 6 अक्टूबर को होगा, इसलिए ये व्रत इसी दिन करना श्रेष्ठ रहेगा। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। 

इस विधि से करें पापांकुशा एकादशी का व्रत (Papankusha Ekadashi 2022 Puja Vidhi)
- पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन दशमी तिथि (5 अक्टूबर, बुधवार) से ही करना चाहिए। जहां तक संभव हो दशमी तिथि और एकादशी तिथि दोनों ही दिनों में कम से कम बोलना चाहिए। 
- दशमी तिथि को भोजन में तामसिक चीजों (प्याज-लहसुन, नॉनवेज आदि) का सेवन नहीं करना चाहिए और पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मन में भी कोई बुरे विचार न लाएं।
- एकादशी तिथि पर सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें। संकल्प अपनी शक्ति के अनुसार ही लेना चाहिए यानी एक समय फलाहार का या फिर बिना भोजन का।
- इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र की स्थापना किसी साफ स्थान पर करें। शुद्ध घी की दीपक लगाएं। कुमकुम से तिलक करें। चावल, अबीर, गुलाल, फूल, हार आदि चीजें चढ़ाएं।
- इस प्रकार पूजा करने के बाद भगवान को अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। उसमें तुलसी के पत्ते जरूर रखें। अंत में आरती करें और प्रसाद सभी लोगों को बांट दें। दिन भर भगवान का ध्यान करते रहें। रात्रि में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि (7 अक्टूबर, शुक्रवार) की सुबह ब्राह्मणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद होता है। इस तरह पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

पापाकुंशा एकादशी की कथा (Papankusha Ekadashi 2022 Katha)
- धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर एक बहेलियां रहता था। अंत समय में जब यमदूत बहेलिये के प्राण लेने आए तो उसने कहा कि- “कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है, हम तुम्हें कल लेने आएंगे।” 
- ये सुनकर बहेलिया डर गया और महर्षि अंगिरा के पास जाकर बोला कि “मैंने अपने जीवन में कभी कोई अच्छा काम नहीं किया, सदैव क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया है। मुझे किस तरह मोक्ष प्राप्त होगा।” 
- महर्षि अंगिरा ने कहा कि “तुम कल आने वाली पापांकुशा एकादशी का व्रत करो, उससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।” बहेलिये ने पापांकुशा एकादशी का व्रत किया और भगवान की कृपा से वह विष्णु लोक को गया।


ये भी पढ़ें-

Mahakal Lok Ujjain: क्यूआर कोड स्कैन करते है सुन सकेंगे शिव कथाएं, ये खास ‘एप’ करना होगा डाउनलोड


October 2022 Festival Calendar: अक्टूबर 2022 में कब, कौन-सा त्योहार मनाया जाएगा? जानें पूरी डिटेल

Dussehra 2022: पूर्व जन्म में कौन था रावण? 1 नहीं 3 बार उसे मारने भगवान विष्णु को लेने पड़े अवतार

 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Rashifal 7 December 2025: चंद्र-मंगल बदलेंगे राशि, जानें आपकी लाइफ पर कैसा होगा असर?
Aaj Ka Rashifal 6 December 2025: बुध का वृश्चिक राशि में प्रवेश, किसके लिए शुभ-किसके लिए अशुभ?