Pradosh Vrat 2022: एक ही दिन किया जाएगा साल का अंतिम प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत, जानें क्यों होगा ऐसा?

Pradosh-Shiv Chaturdashi Vrat December 2022: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महीने में कई व्रत-उपवास किए जाते हैं। प्रदोष और शिव चतुर्दशी व्रत भी इनमें से एक है। ये दोनों व्रत-अलग-अलग दिन किए जाते हैं लेकिन दिसंबर 2022 में ये दोनों व्रत एक ही दिन किए जाएंगे।
 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है और महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव चतुर्दशी व्रत किया जाता है। (Pradosh-Shiv Chaturdashi Vrat December 2022) इन दोनों ही व्रतों में भगवान शिव की पूजा की जाती है। दिसंबर 2022 में तिथियों की घट-बढ़ के चलत ये दोनों व्रत एक ही दिन किए जाएंगे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानिए ऐसा क्यों होगा…


इसलिए एक ही दिन किए जाएंगे ये दोनों व्रत
ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 21 दिसंबर, बुधवार को पौष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सुबह से रात 10:16 तक रहेगी। इसके बाद चतुर्दशी तिथि आरंभ हो जाएगी। प्रदोष व्रत में शिवजी की पूजा शाम को करने का विधान है, वहीं शिव चतुर्दशी व्रत में शिवजी की पूजा रात में की जाती है। तिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा 21 दिसंबर की शाम को की जाएगी, वहीं शिव चतुर्दशी व्रत की पूजा रात में करना शास्त्र सम्मत रहेगा। इसलिए एक ही दिन में दोनों व्रत किए जा सकेंगे।

Latest Videos


कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे इस दिन?
 ज्योतिषाचार्य पं. द्विवेदी के अनुसार, 21 दिसंबर, बुधवार को सुबह 08:33 तक विशाखा नक्षत्र रहेगा और इसके बाद अनुराधा नक्षत्र रात अंत तक रहेगा। बुधवार को पहले विशाखा नक्षत्र होने से प्रजापति और इसके बाद अनुराधा नक्षत्र होने से सौम्य नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे। धनु राश में सूर्य, बुध और शुक्र के होने से बुधादित्य और लक्ष्मीनारायण नाम के शुभ योग भी इस समय बनेंगे।


क्यों खास है प्रदोष व्रत?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने कुष्ठ रोग होने के श्राप दे दिया तो उसके प्रभाव से चंद्रमा की आभा कम होने लगी। इस श्राप से मुक्ति के लिए चंद्रमा ने शिवजी की पूजा और घोर तपस्या की। प्रदोष तिथि पर शिवजी ने प्रसन्न होकर चंद्रमा को दर्शन दिए और श्राप से मुक्त किया, साथ ही अपने मस्तक पर धारण भी किया। इसलिए प्रदोष व्रत का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।


क्यों खास है शिव चतुर्दशी व्रत?
धर्म ग्रंथों के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि पर महा शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसी तिथि के महत्व को समझते हुए प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि क मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसे ही शिव चतुर्दशी कहते हैं। इस व्रत को करने से शिवजी की कृपा भक्तों पर बनी रहती है।


ये भी पढ़ें-

Yearly Horoscope 2023: मेष से लेकर मीन तक, किस राशि के लिए कैसा रहेगा साल 2023? जानें वार्षिक राशिफल से


Rukmini Ashtami 2022: कैसे हुआ था देवी रुक्मिणी का श्रीकृष्ण से विवाह, इनकी कितनी संतान थीं?

Hanuman Ashtami 2022: 16 दिसंबर को करें ये उपाय, हनुमानजी दूर करेंगे आपकी हर परेशानी


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे। 
 

Share this article
click me!

Latest Videos

शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts
महज चंद घंटे में Gautam Adani की संपत्ति से 1 लाख Cr रुपए हुए स्वाहा, लगा एक और झटका
SC on Delhi Pollution: बेहाल दिल्ली, कोर्ट ने लगाई पुलिस और सरकार को फटकार, दिए निर्देश
Maharashtra Election: CM पद के लिए कई दावेदार, कौन बनेगा महामुकाबले के बाद 'मुख्य' किरदार
कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?