Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा पर बनेंगे 2 राज योग, जानें इसकी सही डेट और क्यों खास है ये पर्व?

Published : Sep 28, 2022, 05:35 PM IST
Sharad Purnima 2022: शरद पूर्णिमा पर बनेंगे 2 राज योग, जानें इसकी सही डेट और क्यों खास है ये पर्व?

सार

Sharad Purnima 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हिंदू महीने की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। इस तिथि पर कई बड़े व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। शरद पूर्णिमा भी इनमें से एक है। इस बार ये पर्व 9 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा।   

उज्जैन. हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन चांद अपने पूर्ण स्वरूप में दिखाई देता है। ये तिथि साल में 12 बार आती है। कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार इस तिथि पर मनाए जाते हैं। शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima 2022) भी इनमें से एक है। ये पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा। ये पर्व बहुत ही खास है। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी खास बातें…

कब से कब तक रहेगी पूर्णिमा तिथि? (Sharad Purnima 2022 Date)
पंचां के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 8 अक्टूबर, शनिवार की रात 03:42 से शुरू होकर 9 अक्टूबर, रविवार की रात 02:24 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 9 अक्टूबर को होगा, इसलिए ये पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। इस दिन उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र होने से सुस्थिर और वर्धमान नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। इसके अलावा ध्रुव योग भी इस दिन रहेगा। 

शरद पूर्णिमा पर रहेगा त्रिग्रही योग (Sharad Purnima 2022 Shubh Yog)
शरद पूर्णिमा का पर्व त्रिग्रही योग में मनाया जाएगा। क्योंकि उस समय कन्या राशि में सूर्य, बुध और शुक्र की युति बनेगी। सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य और बुध-शुक्र की युति से लक्ष्मीनारायण योग इस समय रहेगा। ये दोनों ही अति शुभ योग हैं, इन्हें राज योग भी कहा जाता है। इस समय शनि और गुरु अपनी-अपनी राशि में वक्री अवस्था में रहेंगे।

इसलिए खास है ये तिथि (Sharad Purnima Importance) 
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा 16 कलाओं से संपूर्ण होकर अपनी किरणों से रात भर अमृत की वर्षा करता है। जो कोई इस रात्रि को खुले आसमान में खीर बनाकर रखता है व सुबह इसे खाता है, उसके लिये खीर अमृत के समान होती है। इसे खाने से कई रोगों में आराम मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा इसलिए भी महत्व रखती है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचा था। इसलिये इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। 


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