ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में 12 भाव होते हैं। इनमें स्थित ग्रहों के आधार पर ही किसी व्यक्ति के बारे में भविष्यकथन किया जाता है। इन 12 भावों में कुछ सुख के और कुछ दु:ख के होते हैं।
उज्जैन. जन्म कुंडली के प्रत्येक भाव का अपना प्रभाव होता है। प्रत्येक भावों में ग्रहों के गोचर के प्रभाव को देखा जाता है। आगे जानिए कितने भाव सुख और कितने दु:ख के होते हैं और उनमें स्थित ग्रह किस उम्र में ज्यादा प्रभावशील होते हैं…
1. दु:ख का भाव 2, 3, 11, 12
दूसरा भाव परिवार और धन का, तीसरा भाई बहन का, 11वां आय का और 12 व्यय का होता है।
2. सु:ख का भाव
1, 4, 5, 9, 10 यह भाव सुख के कहलाते हैं। पहला लग्न यानी शरीर, चौथा सुख भाव, पांचवां विद्या और संतान, नौवां भाव भाग्य का और 10वां भाव कर्म का होता है।
3. महादु:ख का भाव
6, 7 और 8 भाव अर्थात दु:ख के ऊपर दु:ख और नीचे भी दु:ख परंतु मध्य में सुख समाया।
4. जब हम कुंडली की जांच करते हैं तो दु:ख भाव सात है। मतलब 2, 3, 11, 12, 6, 7 और 8। इसी तरह चार पांच भाव सुख के हैं।
5. इसी तरह तरह ग्रहों की बात करें तो सूर्य, मंगल, शनि, राहु ये दु:खी करने वाले ग्रह हैं। शुक्र, गुरु और केतु ये सुखी करने वाले ग्रह हैं। चंद्र और बुध दोनों सुख और दुःख देने वाले ग्रह हैं।
6. जब शुभ ग्रह, सुख भाव में होंगे तो सुख मिलेगा। अशुभ या पाप ग्रह दुःख भाव में होंगे तो दुःख की प्राप्ति रहेगी।
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