ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस दिन का विशेष महत्व माना जाता है और इसे पर्व यानी उत्सव कहा गया है।
उज्जैन. इस बार 15 मई, रविवार को सूर्य मेष राशि से निकलकर वृष राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य का ये परिवर्तन वृष संक्रांति (Vrish Sankranti 2022) कहलाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन वरीयान और रवि नाम के 2 शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। सूर्य का ये राशि परिवर्तन वृष लग्न में होगा। स्थिर लग्न होने से इस दिन किए गए शुभ कामों का फल स्थाई रूप से प्राप्त होगा। आगे जानिए इस दिन ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी और शुभ फल पाने के लिए क्या करें…
सूर्य संक्रांति पर तिल का है विशेष महत्व
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, संक्रांति पर सूर्योदय से पहले पानी में सफेद तिल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्यदेव को शक्कर मिश्रित जल में तिल डालकर अर्ध्य देना चाहिए। दिन में दूध-पानी में तिल मिलाकर पितरों के निमित्त श्राद्ध , तर्पण आदि करना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और तिल का दान भी इस दिन करना चाहिए।
रविवार को सूर्य का राशि परिवर्तन रहेगा शुभ
रविवार को सूर्य का राशि परिवर्तन बहुत विशेष माना जाता है क्योंकि ये सूर्यदेव का ही दिन है, इसलिए 15 मई, रविवार को तीर्थ स्नान और जरूरतमंदों को दान देने का कई गुना फल मिलेगा। 15 मई को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी और पूर्णिमा तिथि का योग भी बन रहा है। इसे पुष्करणी योग कहते हैं। इस शुभ योग में सूर्य की पूजा और इसके निमित्त दान करना विशेष फलदाई रहेगा।
ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति
15 मई को सूर्य राशि बदलकर वृषभ राशि में आएगा। इस राशि में पहले से ही बुध ग्रह स्थित है, लेकिन वो इस समय अस्त है। सूर्य और बुध के एक ही राशि में होने से बुधादित्य नाम का शुभ योग बनेगा। इसी के साथ सूर्य और राहु का मेष राशि मे बन रहा अशुभ योग भी समा्त दूर हो जाएगा। ग्रहों की ये स्थिति शुभ फल देने वाली रहेगी। इसका शुभ प्रभाव देश-दुनिया के साथ हर व्यक्ति पर भी दिखाई देगा।
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