पंचमुखी हनुमान की पूजा से बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए क्यों लेना पड़ा बजरंगबली को ये स्वरूप
भगवान शिव के अवतार हनुमानजी का पंचमुखी स्वरूप भी है। तंत्र सिद्धियों और विशेष कामों में सफलता के लिए हनुमानजी के इस रूप की पूजा की जाती है।
Asianet News Hindi | Published : Apr 7, 2020 1:43 PM IST / Updated: Apr 07 2020, 07:19 PM IST
उज्जैन. भगवान शिव के अवतार हनुमानजी का पंचमुखी स्वरूप भी है। तंत्र सिद्धियों और विशेष कामों में सफलता के लिए हनुमानजी के इस रूप की पूजा की जाती है। हनुमानजी के इस रूप की पूजा करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और अनजाने भय से मुक्ति मिलती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और श्रीराम कथाकार पं. मनीष शर्मा से जानिए हनुमानजी को क्यों पंचमुखी स्वरूप धारण करना पड़ा। ये है इस हनुमानजी के इस स्वरूप से जुड़ी कथा-
राम-रावण युद्ध में जब श्रीराम का पलड़ा भारी होने लगा तो रावण ने अपने मायावी भाई अहिरावण को बुलाया। अहिरावण देवी भवानी का साधक था और तंत्र-मंत्र का जानकार था।
उसने अपनी माया से सभी को भ्रमित कर दिया और श्रीराम-लक्ष्मण को अपने साथ पाताल लोक ले गया। कुछ समय बाद जब अहिरावण की माया हटी तब विभीषण समझ गया कि ये काम अहिरावण ही कर सकता है।
विभीषण ने ये बात हनुमानजी को बताई। पाताल लोक जाकर हनुमानजी ने देखा कि अहिरावण ने देवी भवानी को प्रसन्न करने के लिए पांच दिशाओं में दीपक जला रखे हैं।
विभीषण ने हनुमानजी को बताया था कि जब तक ये पांच दीपक नहीं बुझेंगे, तब तक अहिरावण को पराजित करना मुश्किल है। हनुमानजी ने पंचमुखी रूप धारण कर पांचों दीपक एक साथ बुझा दिए।
दीपकों के बुझते ही अहिरावण की शक्तियां क्षीण होने लगी और हनुमानजी ने उसका वध कर दिया। इस प्रकार श्रीराम और लक्ष्मण को स्वतंत्र कराकर हनुमानजी उन्हें लेकर पुन युद्ध भूमि में आ गए।
हनुमानजी के पंचमुखी स्वरूप में उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख है।
हनुमानजी के पंचमुखी स्वरूप की पूजा करने अनजाने भय से मुक्ति मिलती है। आत्मविश्वास बढ़ता है और मानसिक तनाव दूर होता है। इस स्वरूप की तस्वीर या प्रतिमा के सामने बैठें और दीपक जलाकर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।