Exclusive : BJP पार्टियों को तोड़ने में माहिर, वे दलबदलुओं के साथ मिलकर सरकार बना रहे- बृंदा करात

केरल में विधानसभा चुनाव के लिए 6 अप्रैल को मतदान हो चुका है। 2 मई को नतीजे आने हैं। इन चुनावों से सत्ताधारी लेफ्ट गठबंधन को कितनी उम्मीदें हैं, इसके अलावा बंगाल में कांग्रेस के साथ गंठबंधन जैसे तमाम मुद्दों पर सीपीआई नेता बृंदा करात ने हमारे सहयोगी Asianet Newsable के याकूब से बात की। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 13, 2021 7:31 AM IST / Updated: Apr 13 2021, 01:05 PM IST

नई दिल्ली. केरल में विधानसभा चुनाव के लिए 6 अप्रैल को मतदान हो चुका है। 2 मई को नतीजे आने हैं। इन चुनावों से सत्ताधारी लेफ्ट गठबंधन को कितनी उम्मीदें हैं, इसके अलावा बंगाल में कांग्रेस के साथ गंठबंधन जैसे तमाम मुद्दों पर सीपीआई नेता बृंदा करात ने हमारे सहयोगी Asianet Newsable के याकूब से बात की। 

सवाल- केरल में वोटिंग हो चुकी है, ऐसे में आपको ग्राउंड से क्या स्थिति देखने को मिल रही है?

जवाब- केरल में स्थिति सकारात्मक है। ऐसा नजर आ रहा है कि एलडीएफ केरल के लोगों की मदद से आसानी से सरकार बनाने जा रही है। वहीं, बंगाल में भाजपा और टीएमसी दोनों गंदी राजनीति कर रहे हैं। वहां लड़ाई कांटे की है। मौजूदा स्थिति में दोनों जिस तरह से चुनाव प्रचार कर रहे हैं, वे राज्य को सांप्रदायिक रूप से ध्रुवीकृत करना चाहते हैं। यह स्थिति चिंताजनक है। लेकिन हम वापसी के लिए लड़ रहे हैं। हमें आशा है कि उन्हें लोग नकार देंगे। 

सवाल- भाजपा दावा कर रही है कि राजनीतिक विचारधारा के मामले में लेफ्ट और कांग्रेस पाखंडी हैं। केरल में कांग्रेस और वामपंथी दुश्मन हैं, जबकि बंगाल में वे गठबंधन में हैं। आप इस बारे में क्या सोचते हैं?

जवाब-  भाजपा अपनी चालबाजी के लिए जानी जाती है। भाजपा पार्टियों को तोड़ रही है और ऐसे लोगों के साथ सरकार बना रही है जिन्होंने दलबदल किया। बंगाल में तृणमूल को तोड़कर सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। इसलिए भाजपा पार्टियों को तोड़ने में माहिर है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपने साथ एक वॉशिंग मशीन ले जाते हैं, और सभी 'संघियों' को उसमें डाल दिया जाता है और एक बार चलाने के बाद वे मोदी और शाह के लिए बोलने लगते हैं। 

सीपीआई (एम) लालच की राजनीति नहीं करती। हम इस पर एकदम स्पष्ट हैं। भारत को भाजपा और संघ से बचाना है। केरल में कांग्रेस ने भाजपा के साथ रहना चुना। यहां कांग्रेस लेफ्ट के खिलाफ कड़ा अभियान चला रही है और भाजपा को समर्थन कर रही है। इसके विपरीत प बंगाल में कांग्रेस ने टीएमसी के साथ गठबंधन तोड़ते हुए महसूस किया कि टीएमसी भाजपा को बंगाल में अपना आधार बनाने में मदद कर रही है। जहां तक की हमारी बात है, केरल हो या बंगाल, हमारी राजनीति स्पष्ट है। 

सवाल- क्या पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ गठबंधन को राजनीतिक मजबूरी कहा जा सकता है?

जवाब
- बंगाल में लेफ्ट ने भाजपा और टीएमसी के खिलाफ सभी दलों को एक साथ लाने की कोशिश की है। मुझे लगता है कि भाजपा और संघ के खिलाफ खड़ा होना हर नागरिक की मजबूरी है। बंगाल में टीएमसी के खिलाफ हैं, क्योंकि उसने भाजपा और संघ का हाथ पकड़ लिया है और उन्हें एक नंबर पर ला रहे हैं। 

सवाल- चुनाव प्रचार में आपने कौन से मुद्दे उठाए?

जवाब-
लोकतंत्र की बहाली, संविधान और धर्मनिरपेक्षता की भावना और शिक्षा, रोजगार जैसे मुद्दे शामिल हैं, जिन्हें लेकर लोगों में असंतोष है। 

सवाल- क्या आप मानते हैं कि नागरिकता कानून और कृषि कानून जैसे राष्ट्रीय मुद्दे पश्चिम बंगाल में मतदाताओं के बीच गूंज रहे हैं?

जवाब-
 भाजपा पूरी तरह से पाखंडी है, और टीएमसी कृत्रिम है। वामपंथ बहुत स्पष्ट है। हम सीएए और एनआरसी के खिलाफ हैं, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ये बंगाल में लागू ना हो।

सवाल- पश्चिम बंगाल चुनाव अभियान को लेकर विशेषज्ञों का कहना है, सबसे अधिक ध्रुवीकरण में से एक है। इस बारे में आपका क्या कहना है?

जवाब-
यह तथ्य है कि भाजपा और आरएसएस एक अत्यंत सांप्रदायिक अभियान चला रहे हैं। अपने अत्यधिक अवसरवादी रुख और सिद्धांत की कमी की वजह से, ममता बनर्जी सरकार भी यह करने लगी।

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