Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा पर बनते हैं ये पारंपरिक भोग, गिरिराज जी को जरूर करें अर्पित

Published : Oct 22, 2025, 01:35 PM IST
Govardhan Puja Traditional Bhog

सार

Govardhan Puja Bhog: आज देशभर में गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है। इस दिन न सिर्फ पूजा होती है, बल्कि भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन स्वरूप को 56 भोग भी लगाया जाता है। ऐसे में अगर आप 56 भोग नहीं लगा पा रहे हैं, तो इन 5 चीजों को भोग में जरूर शमिल करें।

दीपावली के अगले दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण के उस दिव्य स्वरूप को समर्पित है, जब उन्होंने अपने नन्हे हाथों से गोवर्धन पर्वत उठाकर वृंदावन वासियों की रक्षा की थी। हिंदू धर्म और भारत के कुछ जगहों पर इस दिन भव्य अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का आयोजन होता है। लोग घर में भी गोवर्धन बनाकर पूजा करते हैं, और भक्तजन अन्नकूट खिचड़ी या सब्जी बनाकर गिरिराज जी को अर्पित करते हैं। यह पूजा समृद्धि, संरक्षण और आभार का प्रतीक है। इस दिन घरों में बनने वाले व्यंजन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति का जुड़ाव है। तो चलिए देखते हैं गोवर्धन पूजा के दिन बनाए जाने वाले 5 पारंपरिक भोग जिसके बिना यह पर्व अधूरा है।

अन्नकूट सब्जी

गोवर्धन पूजा का मुख्य प्रसाद है अन्नकूट, जिसमें विभिन्न सात्विक सब्जियां होती है। इसमें लौकी, आलू, तोरई, बैंगन, सहजन, गोभी, मटर और हरी सब्जियां मिलाकर एक बड़ी कढ़ाही में बिना प्याज-लहसुन के पकाई जाती हैं। हल्का सा देशी घी, जीरा और सेंधा नमक डालकर इसे भगवान को अर्पित किया जाता है। माना जाता है कि यह सब्जी समृद्धि और एकता का प्रतीक है, क्योंकि इसमें हर तरह की सब्जी शामिल होती है। बहुत से जगहों पर इसमें अनाज जैसे चावल, गेहूं और दाल भी डाली जाती है।

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खिचड़ी या भोग वाला चावल

अन्नकूट के साथ खिचड़ी या सादा चावल भी बनते हैं। देसी घी, मूंग दाल और चावल से बनी खिचड़ी का स्वाद सरल होने के साथ-साथ स्वादिष्ट होता है। कुछ जगहों पर इसमें खूब सारी हरी सब्जियां डालकर भी पकाया जाता है, जिससे स्वाद और सुगंध दोनों बढ़ जाते हैं। यह खिचड़ी प्रसाद सादगी और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

माखन-मिश्री

भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय भोग है माखन-मिश्री। इसे तैयार करने के लिए घर के बने सफेद मक्खन में मिश्री मिलाई जाती है। गोवर्धन भगवान को भोग लगाते वक्त इसमें तुलसी पत्र रखकर अर्पित करें। यह भोग भगवान के बाल गोपाल स्वरूप को बहुत प्रिय है और इसके बिना बाल भोग, 56 भोग सबकुछ अधूरा है।

दूध, दही और बूरा का भोग

गोवर्धन पूजा पर दूध-दही का खास महत्व है। गिरिराज जी की पूजा में दही, दूध, बूरा (पिसी शक्कर) और घी का मिश्रण रखकर अर्पित करें। इसे “पंचामृत” के समान शुद्ध माना जाता है। आप दूध, दही, चीनी, शहद और घी का मिश्रण तैयार कर गोवर्धन गिरीराज को भोग लगाएं।

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शकरकंदी और गुजिया

कई जगहों पर इस दिन गोवर्धन पूजा में शकरकंदी, गुझिया या मठरी का भोग भी लगाते हैं। शकरकंदी को उबालकर या तंदूर में सेंककर शुद्ध घी और गुड़ के साथ अर्पित किया जाता है। वहीं खोया की गुजिया भी बाल गोपाल को बहुत प्रिय है।

 

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