
Chhath Prasad Thekua Khajuri: छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में बहुत ही श्रद्धा और आस्था से मनाई जाती है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मइया की पूजा की जाती है, जिसमें प्रसाद का विशेष महत्व होता है। हर घर में इस मौके पर ठेकुआ और खजूरी जैसी पारंपरिक मिठाइयां जरूर बनाई जाती हैं, ठेकुआ और खजूरी के बिना यह पर्व अधूरा है। जिन लोगों को इन दोनों ही पकवानों के बारे में नहीं पता है, उन्हें ये देखने में दोनों एक जैसी लगती हैं, लेकिन स्वाद, आकार और बनाने के तरीके में इन दोनों में काफी फर्क होता है। आइए जानते हैं कि आखिर छठ पूजा की ठेकुआ और खजूरी में क्या खास अंतर है।
ठेकुआ को छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण प्रसाद माना जाता है। इसे गुड़ या चीनी, गेहूं के आटे और घी या तेल से बनाया जाता है। आटे में गुड़ या चीनी घोलकर इसे गूंधा जाता है, फिर इसमें नारियल के बुरादे, ड्राई फ्रूट्स, इलायची या सौंफ मिलाई जाती है। इस आटे से छोटी-छोटी गोल या चपटी टिक्की बनाई जाती है, जिन्हें लकड़ी के सांचे से डिजाइन देकर धीमी आंच पर तेल या घी में तला जाता है।
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ठेकुआ बाहर से कुरकुरा और अंदर से हल्का मुलायम होता है, और इसका स्वाद न ज्यादा मीठा होता है, न फीका, होता है। इसे खास तौर पर संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य दोनों समय प्रसाद के रूप में सूर्य देव एवं छठी माता को अर्पित किया जाता है।
खजूरी भी छठ पूजा में बनाई जाती है, लेकिन यह ठेकुआ से अलग प्रकार की मिठाई है। इसका आकार खजूर (date) जैसा होता है, इसी वजह से इसे “खजूरी” कहा जाता है। इसमें भी मैदा और गुड़ या चीनी का प्रयोग होता है, लेकिन आटे को थोड़ा सख्त गूंथा जाता है ताकि इसका आकार बनाते समय न टूटे। खजूरी को बेलन से हल्का लंबा आकार देकर तेल में सुनहरा होने तक तला जाता है। इसका स्वाद ठेकुआ से ज्यादा मीठा और कुरकुरापन अधिक होता है। खजूरी को कई घरों में छठ पूजा के साथ-साथ त्योहारों या अतिथियों के स्वागत में परोसने के लिए इसे बनाया जाता है।
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