जल संकट से जूझ रहे इजरायल ने हाल ही में अनोखा तरीका निकाला और बहुत कम पानी का इस्तेमाल करते हुए टमाटर की खेती कर दी और इससे फसल पर कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
फूड डेस्क: इजरायली शोधकर्ताओं ने टमाटर की एक ऐसी किस्म की खेती की है, जिसमें फसल से समझौता किए बिना कम पानी की खपत की गई। इसे कल के टमाटर कहा जा रहा है, क्योंकि कृषि के लिए आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई मुश्किलें आने की संभावना है। ऐसे में तेल अवीव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शॉल यालोव्स्की और डॉ. नीर साडे ने जल वाष्पोत्सर्जन तकनीक से टमाटर की उन्नत किस्म की फसल की पैदावार की, जिसमें बहुत कम मात्रा में पानी का इस्तेमाल किया गया।
इस तरह उगाई जा रहे कम पानी के टमाटर
शोधकर्ताओं ने बताया कि जल वाष्पोत्सर्जन पौधे के तने, पत्तियों या फूलों से पानी के वाष्पित होने की प्रक्रिया है। इस वाष्पीकरण का अधिकांश भाग खासकर पत्तियों के छिद्रों के माध्यम से होता है जिन्हें स्टोमेटा कहा जाता है। सूखे की स्थिति के दौरान, पौधे पानी की कमी को कम करने के लिए अपने रंध्रों को बंद करके प्रतिक्रिया करते हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया से पौधों की कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता कम हो जाती है। इससे बचने के लिए शोधकर्ताओं ने ROP9 नामक जीन को लक्षित करने के लिए CRISPR आनुवंशिक संपादन तकनीक का प्रयोग किया।
क्या है ROP9
दरअसल, ROP9 को खत्म करके शोधकर्ता रंध्र को आंशिक रूप से बंद करने में सक्षम हुए। खासकर दोपहर के समय जब पौधों में वाष्पोत्सर्जन दर सबसे ज्यादा होती है, हालांकि सुबह और दोपहर में जब वाष्पोत्सर्जन दर कम होती है रंध्र खुले रहते हैं। जिससे पौधे को पर्याप्त कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करने और चीनी उत्पादन बनाए रखने की अनुमति मिलती है। शोधकर्ताओं ने फसलों पर मॉडिफाइड ROP9 के प्रभाव का आकलन करने के लिए सैकड़ों पौधों को शामिल करके एक रिसर्च की, जिसके आश्चर्यजनक प्रमाण सामने आए। इसमें पता चला कि संशोधित ROP9 पौधों ने वाष्पोत्सर्जन के दौरान कम पानी खोया, लेकिन कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला। शोधकर्ताओं का कहना है कि आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर तेजी से इसकी मांग बढ़ेगी और खाद फसलों में भी इस तरह के नवाचारों को स्वीकार किया जाएगा।