पैदा होते ही इस बच्चे ने बना दिया गजब का रिकॉर्ड, डॉक्टर के भी उड़ गए होश

ब्राजील में एक महिला ने 7.3 किलो के बच्चे को जन्म दिया। जो नॉर्मल बच्चे से कही ज्यादा अधिक है। इस बच्चे ने पैदा होते ही एक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। आइए जानते हैं इस असाधारण बच्चे के बारे में।

Nitu Kumari | Published : Feb 6, 2023 8:14 AM IST

हेल्थ डेस्क. आमतौर पर जन्मजात बच्चे का वजन 2.8 – 3.2 किलोग्राम होना चाहिए। इसमें थोड़ा उपर नीचे होता है। लेकिन ब्राजील में एक मां ने 7.3 किलोग्राम के बच्चे को जन्म दिया है। इतना ही नहीं बच्चे की लंबाई भी सामान्य बच्चे से ज्यादा है। 2 फीट का बच्चा जिसका वजन 7.3 किलो था उसे पैदा होते देखकर डॉक्टर भी हैरान रह गए थे। ब्राजील की 27 साल की क्लेडिएन सैंटोस डॉस सैंटोस(Cleidiane Santos dos Santos) ने 18 जनवरी को इस बच्चे को जन्म दिया।

सैंटोस ने एमेजॉनस स्टेट के पेरिंटिन्स के अस्पताल में सी-सेक्शन से बच्चे एंगर्सन सैंटोस को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि महिला रेगुलर चेकअप के लिए वहां गई थी। लेकिन डॉक्टरों ने महसूस किया कि पेट में पल रहा बच्चा बहुत बड़ा है। जिसे बाद महिला का सी-सेक्शन करना पड़ा। एंगर्सन को इनक्यूबेटर में रखा गया है। एंगर्सन ने पैदा होते ही सबसे भारी बच्चा होने का रिकॉर्ड भी बना लिया है। इससे पहले साल 2016 में एक बच्ची ने इस रिकॉर्ड को अपने नाम किया था। वो 6.8 किलो की पैदा हुई थी।

बढ़े हुए वजन के साथ पैदा हुए बच्चे को मैक्रोसोमिया कहा जाता है। सामान्यत: मैक्रोसोमिया वाले शिशुओं का वजन जन्म के समय 4 किलोग्राम से ज्यादा होता है।

सामान्य से बड़े बच्चे क्यों होते हैं

शिशु सामान्य से बड़े तब होते हैं जब आपको गर्भावधि में डायबिटीज यानी मधुमेह हो। जिसका पता ना चलें या फिर कंट्रोल में ना हो।

आपकी फैमिली में सामान्य से बड़े बच्चे होने का इतिहास रहा हो।

गर्भावस्था की शुरुआत में आपका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) ज्यादा था।

अगर पहले भी सामान्य से बड़ा शिशु हो चुका होता है तो दूसरा बच्चा भी मैक्रोसोमिक हो सकता है। इसकी संभावना 10 गुणा ज्यादा बढ़ जाती है।

गर्भधारण करने की उम्र से अगर महिला बड़ी होती है तो मैक्रोसोमिक बच्चा पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।

गर्भावस्था ड्यू डेट से दो सप्ताह आगे निकल गई है।

मैक्रोसोमिक शिशु इन हेल्थ प्रॉब्लम के हो सकते हैं शिकार

बचपन में सामान्य से ज्यादा वजन

लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया)

बचपन में हार्ट डिजिज, डायबिटीज और स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है

जन्म के तुरंत बाद सांस लेने से जुड़ी समस्या हो सकती है।

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