Blue Light Glasses से नींद सुधार? आंखों पर पड़ता है बड़ा असर, जानें नई रिसर्च

Blue Light Glasses New Study: आजकल बहुत सारे नीले प्रकाश वाले चश्मे मार्केट में उपलब्ध हैं, लेकिन क्या ये वाकई ब्लू लाइट ग्लास स्क्रीन के उपयोग से हमारी आंखों की रक्षा करते हैं?

Shivangi Chauhan | Published : Aug 19, 2023 2:28 PM IST

हेल्थ डेस्क: नीली रोशनी वाले चश्मे(Blue-light glasses) ने हाल के कुछ बीते सालों में खूब लोकप्रियता हासिल की है। इसके पीछे का कारण यह है कि ब्लू लाइट ग्लास स्क्रीन के उपयोग से हमारी आंखों की रक्षा करते हैं या रात में नींद में मदद करते हैं। हालांकि अब ब्लू लाइट ग्लास को लेकर एक नई रिसर्च हुई है। मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा सिटी, लंदन विश्वविद्यालय और मोनाश विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ नया शोध किया गया है। नए अध्ययन से पता चला है कि इन चश्मों की लोकप्रियता के बावजूद, नीली रोशनी वाला चश्मा हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए उतना फायदेमंद नहीं हो सकता है जितनी पहले उम्मीद की गई थी।

कंप्यूटर की वीजुअल थकान कम करने ब्लू-लाइट फिल्टरिंग कितनी उपयोगी?

दरअसल नई समीक्षा में पाया गया है कि नीली रोशनी को फिल्टर करने के लिए चश्मे से, कंप्यूटर के उपयोग के कारण होने वाले आंखों के तनाव पर शायद कोई फर्क नहीं डालते हैं। ना ही ये नींद की गुणवत्ता के लिए लाभदायक हैं। वरिष्ठ लेखिका लॉरा डाउनी ने अपने बयान में कहा कि हमने पाया कि कंप्यूटर के उपयोग से जुड़ी वीजुअल थकान को कम करने के लिए ब्लू-लाइट फिल्टरिंग चश्मे के लेंस का उपयोग करने से कोई अल्पकालिक लाभ नहीं हो सकता है। अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि ये लेंस दृष्टि की गुणवत्ता या नींद से संबंधित परिणामों को प्रभावित करते हैं या नहीं। लंबी अवधि में रेटिना स्वास्थ्य पर किसी भी संभावित प्रभाव के बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। इन चश्मे को खरीदने का निर्णय लेते समय लोगों को इन निष्कर्षों के बारे में पता होना चाहिए।

ब्लू-लाइट ग्लास से नहीं हो रहा उतना फायदा

इस अध्ययन में, लेखकों ने बताया कि वास्तव में यह हमारे उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी नहीं है जो ज्यादातर लोगों की आंखों में तनाव का कारण बन रही है। उन्होंने कहा, उनमें से अधिकांश को कंप्यूटर विजन सिंड्रोम है, जो लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन पर बैठे रहने से संबंधित है। सीएनएन के अनुसार, ओहियो के क्लीवलैंड क्लिनिक में कोल आई इंस्टीट्यूट के कॉर्निया व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. क्रेग सी ने बताया कि मैं आमतौर पर अपने मरीजों को ब्लू-लाइट फिल्टर की सिफारिश नहीं करता हूं। यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि ब्लू-लाइट फिल्टरिंग हानिकारक है। मुख्य बात यह है कि यह उतना काम नहीं कर रहा है जितनी हम उम्मीद कर रहे थे।

नीली रोशनी कितना प्रतिशत करते हैं हाई लेवल फिल्टर

अध्ययन लेखकों ने बताया कि ब्लू-लाइट फिल्टरिंग लेंस कंप्यूटर स्क्रीन जैसे कृत्रिम उपकरणों से केवल 10% से 25% नीली रोशनी को फिल्टर करते हैं। डाउनी लेबोरेटरी में पोस्टडॉक्टरल रिसर्च फेलो और लेखक डॉ. सुमीर सिंह ने भविष्य के शोध के लिए सलाह देते हुए कहा कि नीली रोशनी के हाई लेवल को फिल्टर करने के लिए लेंस को स्पष्ट एम्बर रंग की आवश्यकता होगी, जिसका रंग धारणा पर काफी प्रभाव पड़ेगा। हालांकि आगे अध्ययनों में यह जांच की जानी चाहिए कि विभिन्न समूहों के लोगों और विभिन्न प्रकार के लेंसों का उपयोग करने के बीच सुरक्षा परिणाम अलग-अलग होते हैं या नहीं।

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