Brain Fog Vs Dementia: भूलने की आदत है ब्रेन फॉग या डिमेंशिया? जानें सही अंतर

Published : Sep 16, 2025, 11:53 AM IST
Brain Fog Vs Dementia

सार

Brain Fog Vs Dementia: कभी-कभी भूलने या ध्यान भटकने को हम ब्रेन फॉग मान लेते हैं, लेकिन लगातार बढ़ते लक्षण डिमेंशिया का संकेत हो सकते हैं। सही समय पर पहचान और इलाज से स्थिति को संभाला जा सकता है।

Memory loss warning signs: कभी-कभी चीजें रखकर भूल जाना, बात करते समय शब्द जीभ पर अटक जाना या कमरे में जाकर यह याद न रहना कि हम वहां क्यों आए थे, इन्हें हम अक्सर मजाक में ब्रेन फॉग कहकर टाल देते हैं। लेकिन यह समझना जरूरी है कि कब ऐसे लक्षण गंभीर बीमारी डिमेंशिया का संकेत बन सकते हैं। सबसे पहले जानते हैं ब्रेन फॉग क्या है? इसके बाद जानेंगे ब्रेन फॉग और डिमेंशिया के बीच अंतर।

क्या है ब्रेन फॉग?

ब्रेन फॉग कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई हेल्थ कंडीशन्स का लक्षण हो सकता है। इसमें व्यक्ति को साफ सोचने में कठिनाई होती है। यह समस्या कोविड-19, थायरॉइड, मेनोपॉज, नींद की कमी, क्रॉनिक पेन और स्ट्रेस जैसी स्थितियों में अधिक देखने को मिलती है। यह अस्थायी होता है और अक्सर ठीक भी हो जाता है।

ब्रेन फॉग और डिमेंशिया का फर्क

ब्रेन फॉग: अस्थायी, सही इलाज या लाइफस्टाइल बदलाव से ठीक हो सकता है।

डिमेंशिया (खासकर अल्ज़ाइमर): प्रोग्रेसिव बीमारी है, जिसमें दिमाग की कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होती जाती हैं। दवा से इसे रोका नहीं जा सकता। इसमें रोजमर्रा के काम पर असर पड़ता है। हम चीजें करना भूलने लगते हैं। खाना बनाना तक हम भूलने लगते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो अगर लक्षण लगातार बढ़ रहे हों, तभी यह अल्जाइमर या डिमेंशिया का संकेत हो सकता है।

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महिलाओं को ज्यादा खतरा होता है?

डिमेंशिया के 62% मरीज महिलाएं हैं। मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घटने से दिमाग पर असर पड़ता है। यही कारण है कि महिलाओं में ब्रेन फॉग और डिमेंशिया दोनों की आशंका ज्यादा होती है।

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

अगर ब्रेन फॉग बार-बार हो रहा है और जीवन पर असर डाल रहा है तो जीपी या डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। नींद, डाइट और एक्सरसाइज में सुधार कई बार इसे ठीक कर सकते हैं।

अगर फैमिली में किसी को डिमेंशिया हो जाए तो क्या करें?

इमोशनल सपोर्ट दें - डिमेंशिया पीड़ित को एहसास दिलाएं कि आप उनके साथ हमेशा हैं। वो अकेला बिल्कुल ना महसूस करें।

कनेक्टेड रखें -उनसे सिंपलर छोटे वाक्यों में बातचीत करें, ताकि उन्हें समझने में आसानी हो।

प्रैक्टिकल हेल्प दें- ट्रैवल, अपॉइंटमेंट या पेपरवर्क में उनकी मदद करें।

मेमेंटो बुक बनाएं - यादों को संजोने के लिए अलबम, स्क्रैपबुक बनाएं और उन्हें दिखाते रहें।

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