
CDSCO Drug Disposal Guidelines: अक्सर हम आपातकाल के लिए दवाएं खरीद लेते हैं लेकिन जब वो एक्सपायर हो जाती हैं या इस्तेमाल में नहीं आतीं तो उन्हें सीधे कूड़ेदान में फेंक देते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि कुछ दवाएं इतनी खतरनाक होती हैं कि अगर उन्हें सही तरीके से नष्ट नहीं किया गया तो वे बच्चों, पालतू जानवरों और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं?इसी खतरे को देखते हुए भारत की सबसे बड़ी दवा रेगुलेटरी संस्था CDSCO (Central Drugs Standard Control Organisation) ने 17 दवाओं की एक लिस्ट जारी की है जिन्हें अगर इस्तेमाल में नहीं लाना है तो टॉयलेट में फ्लश कर देना चाहिए।
इन दवाओं का इस्तेमाल आमतौर पर तेज़ दर्द, चिंता, डिप्रेशन, या नशा मुक्ति के इलाज में होता है। लेकिन यदि ये दवाएं गलत हाथों में लग जाती हैं तो ये जानलेवा साबित हो सकती हैं। बच्चों के हाथ लगना, जानवरों द्वारा खा लिया जाना या कूड़े से इनका दुरुपयोग, सब गंभीर जोखिम हैं। इसलिए CDSCO ने सलाह दी है कि इन दवाओं को घर में इकट्ठा करके रखने के बजाय तुरंत फ्लश कर दिया जाए।
अगर आपके पास ऊपर दी गई लिस्ट की दवाएं नहीं हैं तो बाकी दवाओं के लिए Drug Take Back Programmes सबसे सही विकल्प हैं। भारत में अब धीरे-धीरे ऐसे प्रोग्राम शुरू हो रहे हैं जिनमें एक्सपायर्ड या बिना इस्तेमाल की गई दवाओं को इकट्ठा करके वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाता है।
दवाएं अगर सामान्य कूड़े में डाल दी जाएं तो वे पानी के स्रोतों में मिलकर जल प्रदूषण कर सकती हैं। इससे Drug Resistance जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं जो आगे चलकर एंटीबायोटिक्स को भी बेअसर कर सकती हैं। यह न सिर्फ मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है बल्कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी घातक है।