क्या है H3N2 वायरस? दिल्ली में फ्लू के प्रकोप की वजह, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

Published : Sep 13, 2025, 07:45 PM IST
H3N2

सार

दिल्ली-एनसीआर में H3N2 वायरस का प्रकोप बढ़ा हुआ है। यह गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक खतरनाक है। जानें इसके संक्रमण के क्या लक्षण हैं और उससे कैसे बचा जा सकता है। 

H3N2 Virus: दिल्ली-एनसीआर में H3N2 वायरस के कारण फ्लू का भयंकर प्रकोप है। अस्पतालों में बड़ी संख्या में बुखार, खांसी, बदन दर्द और थकान जैसे लक्षणों के साथ मरीज पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार इस वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यह बच्चों और कई बीमारियों के पीड़ित बुजुर्गों के लिए अधिक घातक है।

क्या है H3N2?

H3N2 वायरस इन्फ्लूएंजा A वायरस का एक प्रकार है। यह मौसमी फ्लू के प्रकोप के लिए जिम्मेदार है। शुरुआत में इसका संक्रमण बहुत नुकसान नहीं पहुंचाने वाला लग सकता है, लेकिन H3N2 तेजी से फैलता। यह जल्दी-जल्दी अपना रूप बदलता है। कई बार अन्य प्रकारों की तुलना में इसे कंट्रोल करना ज्यादा मुश्किल हो जाता है।

यह वायरस म्यूटेट होता है, जिससे यह अनुमान लगाना मुश्किल हो जाता है कि हर साल कौन सा वायरस लोगों को बीमार करेगा या कितना गंभीर होगा। यह आमतौर पर सूअरों में फैलता है, लेकिन इंसानों को भी संक्रमित करता है। H3N2 वायरस ने 2010 में सूअरों को संक्रमित किया था। 2011 में पहली बार मनुष्यों में इसके संक्रमण की जानकारी मिली।

H3N2 के संक्रमण के क्या हैं लक्षण?

डॉक्टरों के अनुसार H3N2 वायरस का संक्रमण आमतौर पर 5-7 दिनों तक रहता है। इससे गंभीर खांसी हो सकती है जो तीन सप्ताह तक रह सकती है। इसके लक्षण आमतौर पर इस प्रकार होते हैं:

  • शरीर में तेज दर्द
  • तेज बुखार
  • सिरदर्द
  • गले में खराश
  • खांसी और जुकाम
  • थकान
  • उल्टी और दस्त

H3N2 से इंसान को हो सकती है कौन सी खतरनाक परेशानी?

  • निमोनिया या फेफड़ों का संक्रमण
  • ARDS (Acute respiratory distress syndrome)
  • सेप्सिस
  • मेनिन्जाइटिस या मस्तिष्क की परत की सूजन
  • मायोकार्डिटिस, हृदय की मांसपेशियों की सूजन

किन लोगों को H3N2 संक्रमण से हो सकती है घातक परेशानी?

  • 5 साल से कम उम्र के बच्चे
  • 65 साल या उससे अधिक उम्र के बुजुर्ग
  • गर्भवती महिलाएं
  • अस्थमा या हृदय रोग से पीड़ित

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H3N2 के प्रसार को कैसे रोक सकते हैं?

  • हर साल फ्लू का टीका लगवाना तय करें। यह संक्रमण से बचाता है और बीमारी की गंभीरता को कम करता है।
  • खांसते या छींकते समय अपनी नाक और मुंह को टिशू पेपर या कोहनी के अंदरूनी हिस्से से ढकें।
  • अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
  • अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूने से बचें। कीटाणु इस तरह तेजी से फैलते हैं।
  • बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने की कोशिश करें।
  • अगर आप बीमार हैं तो ठीक होने तक घर पर रहें।
  • संक्रमित जानवरों (खासकर सूअरों, जिनके बीमार होने की आशंका हो) के संपर्क में आना पड़े तो हमेशा व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पहनें- जैसे सुरक्षात्मक कपड़े, दस्ताने और मुंह व नाक ढकने वाले मास्क।

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