कितना खतरनाक है H3N2 Virus और कैसे बरते सावधानी, पूर्व AIIMS प्रमुख रणदीप गुलेरिया ने बताया

एम्स के पूर्व प्रमुख और पद्म श्री डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि H3N2 इन्फ्लूएंजा तेजी से फैल रहा है। इससे बचाव के लिए फेस मास्क और हाथों की स्वच्छता का पालन करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि हाई रिस्क वाले ग्रुप को अलग-थलग रखा जाना चाहिए।

Nitu Kumari | Published : Mar 13, 2023 10:54 AM IST / Updated: Mar 13 2023, 04:40 PM IST

हेल्थ डेस्क.देशभर में इंफ्लुएंजा एच3एन2 (H3N2 viru) के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इस बीच डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr. Randeep Guleria) ने इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ उपाय बताए हैं। उन्होंने कहा कि इंफ्लुएंजा के प्रसार को रोकने के लिए उसी स्तर पर प्रयास करना चाहिए जैसा कि कोविड-19 (COVID-19) के दौरान किए गए थे। वक्त आ गया है कि लोग कोविड मास्क पहनना और हैंड हाइजिन से जुड़ी आदतों को गंभीरता से लें और अपनाएं।

हाई रिस्क ग्रुप को आइसोलेशन में रखें

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि हाई रिस्क ग्रुप वाले लोगों को भी आइसोलेशन में रहना चाहिए। इससे H3N2 वायरस के संक्रमण को दूसरों तक फैलने से रोका जा सकेगा। बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान भी संक्रमित लोगों को दूसरे लोगों से अलग-थलग रखा गया था। हैंड सैनिटाइजर और मास्क का लोग उपयोग कर रहे थे। लेकिन कोरोना के खत्म होने के बाद लोगों ने मास्क और हैंड हाइजीन से दूरी बना ली थी। डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि लोगों को अब इसे अपनी आदत में शुमार कर लेना चाहिए। बैगर मास्क पहने घर से ना निकलें। हैंड सैनिटाइज करना बिल्कुल ना भूलें।

कोविड प्रोटोकॉल जैसे नियमों का पालन करें

डॉ. गुलेरिया ने कहा कि एच3एन2 से बचाव (prevention H3N2) के लिए दो तरह के उपाय किए जा सकते हैं। पहला कोविड प्रोटोकॉल जैसे नियमों को लोग फॉलो करें। दूसरा वैक्सीन लें और कमजोर या हाई-रिस्क ग्रुप्स को संक्रमण से बचाकर रखने के प्रयास करें।हाई रिस्क ग्रुप में बुजुर्ग, उम्रदराज और कॉम्बर्डिटीज से पीड़ित लोग शामिल हैं । इन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और वैक्सीन जरूर लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि इंफ्लुएंजा के लिए हर साल एक नयी वैक्सीन आती है। जो इंफ्लुएंजा ए और बी दोनों से सुरक्षा देती है।

हर साल इन्फ्लूएंजा का वैक्सीन आता है

उन्होंने यह भी कहा कि पॉजिटिव न्यूज यह है कि चूंकि इन्फ्लूएंजा का जोखिम पीढ़ियों से है, इसलिए कुछ हद तक क्रॉस इम्युनिटी है। हम इन्फ्लूएंजा के अधिक मामले देख रहे हैं, लेकिन हम कोविद की पहली या दूसरी लहर जैसे गंभीर संक्रमण नहीं देख रहे हैं।वायरल संक्रमणों की उच्च संख्या का अन्य कारण हाल के वर्षों में अन्य वायरसों के संपर्क में नहीं आना है। पिछले दो या तीन वर्षों में, SarsCov2 प्रमुख वायरस था। हम कोविड संक्रमण अधिक देख रहे थे लेकिन इन्फ्लुएंजा संक्रमण बहुत कम। बार-बार वायरस के संपर्क में आने से इम्युनिटी थोड़ी कमजोर हो गई है। लेकिन मार्केट में हर साल इसे लेकर नया वैक्सीन आता है। लोगों को इसे जरूर लगवाना चाहिए।

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