Actor Fawad Khan को हुई Type-1 Diabetes, जानें क्या हैं इसके लक्षण और उपाय

Fawad Khan Type-1 Diabetes: टाइप-1 डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। इसकी जटिलताओं को रोकने के लिए इंसुलिन की आवश्यकता होती है। अब पता चला है कि पॉपुलर अभिनेता फवाद खान कई साल से टाइप -1 मधुमेह से जूझ रहे हैं।

Shivangi Chauhan | Published : Jun 25, 2023 7:48 AM IST

हेल्थ डेस्क: ए-लिस्टर पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान ने अपनी हेल्थ को लेकर बड़ा खुलासा किया है। फवाद खान ने बताया कि वो लंबे टाइम से डायबिटीज जैली गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हाल ही में फवाद खान ने 17 साल की उम्र में टाइप -1 मधुमेह होने की जानकारी दी है। एक साक्षात्कार के दौरान, फवाद खान ने बताया- 'जब मैं 17 साल का था तो मेरा शरीर ऑटो-इम्यून प्रतिक्रिया से गुजरा। मुझे तेज बुखार आ गया, जिसके बाद आठ दिनों में मेरा वजन लगभग 10 किलो कम हो गया। मैं पहले 65 किलो का था और 17 साल की उम्र में घटकर 55 किलो का हो गया। मुझे बहुत प्यास लगती, मैं 6-7 लीटर पानी पीता फिर भी मेरा मुंह सूखा ही रहता। इन लक्षणों के कारण जब टेस्ट कराया तो मुझे टाइप -1 डायबिटीज का पता चला।'

24 साल से इंसुलिन ले रहे हैं फवाद खान

अभिनेता फवाद खान ने बताया- ‘मैं 17 साल की उम्र से इंसुलिन ले रहा हूं और अब मैं 41 साल का हो गया हूं। मधुमेह में मेरा करियर 24 साल का हो गया है। इस बीमारी का परिणाम यह रहा है कि मैं स्कूल में बहुत सक्रिय था, हर गेम्स खेलता था और मधुमेह के बाद, यह शून्य हो गया। खेल में मेरी रुचि बिल्कुल खत्म हो गई। कम उम्र में इंसुलिन लेना और इसे हर समय अपने साथ रखना स्कूल में एक लगातार असुविधा थी।’ हालांकि फवाद खान ने अपनी बीमारी और सीमाओं के बावजूद हार नहीं मानी। मधुमेह की वजह से उन्होंने अपने सपनों को विकलांग नहीं होने दिया और कड़ी मेहनत व बैलेंस लाइफस्टाइस मेंटेन कर बड़ा मुकाम बनाया।

Type 1 Diabetes Treatment: डायबिटीज का ट्रीटमेंट

आनुवंशिक जांच और परामर्श

टाइप 1 मधुमेह के फैमिली हिस्ट्री वाले व्यक्तियों को आनुवंशिक जांच से लाभ हो सकता है। स्थिति से जुड़े विशिष्ट आनुवंशिक मार्करों की पहचान करने से जोखिम स्तर निर्धारित करने में मदद मिल सकती है। आनुवंशिक परामर्श व्यक्तियों और परिवारों को टाइप 1 मधुमेह विकसित होने की संभावना और उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।

ठोस खाद्य पदार्थों की जानकारी

कुछ शोध से पता चलता है कि शिशुओं को ठोस आहार देने का समय टाइप 1 मधुमेह के विकास का एक कारक हो सकता है। चार से छह महीने की उम्र के बाद ठोस आहार देने में देरी करना फायदेमंद हो सकता है, खासकर उच्च आनुवंशिक जोखिम वाले शिशुओं के लिए। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस क्षेत्र में अधिक शोध की आवश्यकता है और व्यक्तिगत परिस्थितियां भिन्न हो सकती हैं।

विटामिन डी सप्लीमेंट्स

विटामिन डी की कमी और टाइप 1 मधुमेह के बढ़ते खतरे के बीच संबंध है। शैशवावस्था और बचपन के दौरान पर्याप्त विटामिन डी स्तर सुनिश्चित करना फायदेमंद हो सकता है। विटामिन डी उचित है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए हेल्थ प्रोफेशनल से परामर्श लें।

टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण

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