जाते-जाते चार लोगों को जीवनदान दे गई यह महिला, आंध्र प्रदेश के सरकारी अस्पताल में पहली बार हुआ अंग दान

Published : Jun 05, 2023, 07:47 AM ISTUpdated : Jun 05, 2023, 07:50 AM IST
 brain dead women gives four body organ to other patients

सार

32 वर्षीय महिला ने हाल ही में आंध्र प्रदेश के विशाखा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में ब्रेन डेड होने के बाद अपने 4 अंगों को दान दिया।

हेल्थ डेस्क: दुनिया में सबसे बड़ा दान अगर कुछ है तो वह है अंगदान। मृत होने के बाद हमारे शरीर के जो सही अंग होते हैं, उन्हें जरूरतमंदों को दान कर दिया जाता है, ताकि उनकी जिंदगी बचाई जा सके। ऐसा ही कुछ आंध्र प्रदेश की 32 वर्षीय महिला चंद्रकला ने किया, जो खुद ब्रेन डेड का शिकार हो गई थी, लेकिन जाते-जाते उन्होंने 4 नई जिंदगियों को बचा लिया। विशाखापट्टनम के विशाखा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में इस महिला ने अपने किडनी, आंख, हार्ट और लीवर डोनेट किया है, जिन्हें जरूरतमंदों को दिया जाएगा।

कौन है अंग दान करने वाली महिला

32 वर्षीय चंद्रकला विशाखापट्टनम के श्रीकाकुलम जिले की रहने वाली है, जिनकी दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी 7वीं क्लास में पढ़ती है और छोटी बेटी पांचवी में। 31 मई को सिर दर्द होने के कारण चंद्रकला को वीआईएमएस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां पर पता चला कि उनके दिमाग में बिल्डिंग शुरू हो गई है और तमाम कोशिशों के बाद भी उसे ठीक नहीं किया जा सका और उसका ब्रेन डेड हो गया। वीआईएमएस अस्पताल के निदेशक डॉ रामबाबू ने बताया कि जैसे ही हमने उसकी स्थिति के बारे में घरवालों को बताया और जीवनदान योजना के बारे में बताया तो उन्होंने सहमति जताई।

चंद्रकला ने डोनेट किए 4 अंग

वीआईएमएस अस्पताल को 26 अप्रैल 2023 को ही ब्रेनडेड रोगियों के अंगों को अधिकारिक तौर पर निकालने की मंजूरी मिली थी और चंद्रकला ऐसी पहली मरीज रही, जिन्होंने अपने चार अंग डोनेट किए। सारी प्रक्रिया के बाद चंद्रकला के 4 अंगों को निकाला गया, जिन्हें एपीजे प्रोटोकॉल के अनुसार तुरंत जरूरतमंदों को दान कर दिया गया। ऐसा करने वाला आंध्र प्रदेश का विशाखा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पहला सरकारी अस्पताल बना है। दरअसल, अब तक ऐसा केवल प्राइवेट अस्पतालों में किया जाता है। डॉ रामबाबू ने बताया कि अस्पतालों में करीब 19 सौ रोगी किडनी, 800 लीवर और 200 ह्रदय और फेफड़े की समस्या से परेशान हैं, जिन्हें ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत है। चंद्रकला और उनके परिवार की इस उदारता के बाद चार लोगों को जीवन मिल गया और अब इसी तरह से अन्य लोग भी अगर अंगदान करते हैं, तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।

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