क्या होती है पोटली थेरेपी, जिसके 1 सेशन से शरीर की पूरी थकान हो जाती है दूर

हेल्थ डेस्क: दिनभर की भागदौड़ और हैवी वर्कआउट के बाद क्या आपको भी बहुत थकान महसूस होती है, तो आप भी पोटली थेरेपी ले सकते हैं। यह भारत की प्राचीन थेरेपियों में से एक है। तो चलिए हम आपको बताते हैं इसे करने का तरीका और इसके फायदों के बारे में...

Deepali Virk | Published : Feb 8, 2023 9:37 AM IST

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क्या होती है पोटली 
दुनिया में प्रचलित थेरेपी में से एक पोटली थेरेपी है। इसका उपयोग दक्षिण पूर्व एशिया, थाईलैंड में सदियों से एक प्राकृतिक उपचार के रूप में किया जाता रहा है। पोटली मसाज थेरेपी गर्म हर्बल पाउच का उपयोग करके की जाती है, जिसे पोटली (या पुल्टिस) के रूप में भी जाना जाता है। जब इन पोटली को शरीर पर रखा जाता है, हमें दर्द से राहत मिलने के साथ ही तरोताजा महसूस होता है।

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कैसे की जाती है पोटली थेरेपी 
बता दें कि पोटली थेरेपी का एक सेशन 15 से 20 मिनट तक होता है। इसके लिए सबसे पहले एक आयुर्वेदिक तेल जैसे- तिल के तेल और नारियल के तेल में जड़ी बूटियां डालकर से पकाया जाता है, फिर इसे पोटली में भरकर हल्के हाथों से पूरे शरीर की मसाज की जाती है।

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पोटली थेरेपी के फायदे 
जोड़ों के दर्द में मददगार 
पोटली थेरेपी में इस्तेमाल होने वाला तेल जोड़ों के दर्द को खींचने का काम करता है। इससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

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स्किन के लिए फायदेमंद 
पोटली थेरेपी के लिए यदि आप सरसों और नीम के तेल का इस्तेमाल करते हैं और उसे पोटली में भरकर मसाज करते हैं, तो इससे एंटी एजिंग की समस्या दूर होती है। साथ ही चेहरे पर निखार भी आता है।

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राइस पोटली 
कई पोटली मसाज में चावल और रोजमैरी की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे गर्म कर शरीर पर मसाज की जाती है, इससे मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

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सेंधा नमक की पोटली के फायदे 
अगर आप पोटली में सेंधा नमक, अजवाइन, मेथी दाना, लहसुन के तेल का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे पुराने से पुराना दर्द कम होता है। साथ ही इसको करने से वेट लॉस में भी मदद मिलती है।

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पाउडर पोटली के फायदे 
इसमें औषधीय पाउडर और तेल को मिक्स किया जाता है। जैसे- अश्वगंधा, सरसों के दाने, नीम की पत्ती, हल्दी, अदरक, मेहंदी के साथ ही जड़ी बूटियों के पाउडर की पोटली बनाई जाती है। इससे शरीर की मसाज करने से शरीर के टॉक्सिन पदार्थ बाहर निकलते हैं और वात, पित्त और कफ से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

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