भारतीयों को लेकर हाल ही में की गई एक नई स्टडी के अनुसार यूरोपीय और चीनियों की तुलना में कोरोना वायरस के बाद भारतीयों को फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का ज्यादा सामना करना पड़ रहा है।
हेल्थ डेस्क: साल 2019 में चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस अभी भी कई देशों में फैला हुआ है। हालांकि, इसके मामलों में कमी जरूर आई है, लेकिन कोरोनावायरस के पोस्ट सिंप्टोम्स आज भी नजर आते हैं और इससे लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें से एक फेफड़ों की समस्या है। जी हां, कोरोनावायरस की दूसरी वेव में फेफड़ों से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ़ी थी और इसका असर आज भी देखा जा रहा है। हाल ही हुई एक नई रिसर्च के अनुसार जो भारतीय कोविड से ठीक हो गए हैं वह अमेरिकी, यूरोपीय और चीनियों की तुलना में फेफड़ों की कार्य प्रणाली संबंधित समस्याओं से ज्यादा पीड़ित है।
क्या कहती है रिसर्च
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर में हाल ही में एक रिसर्च की गई, जिसमें भारतीयों के फेफड़ों के कामकाज और उनकी कार्यप्रणाली पर रिसर्च की गई। इसमें देखा गया कि कोविड-19 के बाद भारतीयों में यूरोपीय और चीनी रोगियों की तुलना में फेफड़ों की कार्य प्रणाली में ज्यादा नुकसान पहुंचा है। कहा जा रहा है कि भारतीयों पर की गई यह ऐसी पहली रिपोर्ट है, जिसमें बताया गया है कि कोरोनावायरस के बाद भी फेफड़ों से संबंधित बीमारियों में कमी नहीं आई है, बल्कि यह तेजी से बढ़ी है।
कोविड-19 के पोस्ट लक्षण
हर इंसान को कोरोनावायरस से उभरने का एक अलग अनुभव महसूस हुआ है। कुछ लोगों में यह 14 दिन में ठीक हो गया, तो कुछ को महीनों लग गए। इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो आज भी कोरोना के गंभीर लक्षणों से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा लक्षण फेफड़ों की हानि है, इसके अलावा थकान, खांसी, सांस फूलना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, स्वाद या सुगंध में परिवर्तन, पेट और पाचन संबंधी समस्याएं और डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्याओं से कोरोना के बाद भी लोगों को गुजरना पड़ रहा है।
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