
हेल्थ डेस्क: भारतीय घरों में गेहूं आटे की रोटी बड़े चाव से खाई जाती है। परतदार आटे की रोटी खाने में भी बेहद स्वादिष्ट लगती है। गेहूं की रोटी बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक खाना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हेल्थ कॉन्शियस लोगों की थाली में गेहूं की रोटी की जगह ज्वार की रोटी दिख रही है। बढ़ती बीमारियों के बीच लोग ज्वार की रोटी खाना पसंद कर रहे हैं। जानिए ज्वार की रोटी क्यों गेहूं की रोटी से बेहतर विकल्प है।
ज्वार की रोटी में ग्लूटेन नहीं होता है। ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है जो कि जो गेहूं के साथ अन्य अनाज में होता है। कुछ लोग ग्लूटेन के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिस वजह से उन्हें पेट दर्द, थकान, सिरदर्द, कब्ज जैसी समस्या होती है। गेहूं के आटे की रोटी को अगर ज्वार की रोटी से स्विच कर देंगे तो पाचन क्रिया आसान हो जाती है।
ज्वार की रोटी खाने के बाद पेट में हल्कापन महसूस होता है। ज्वार की रोटी खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है क्योंकि ज्वार में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। फाइबर की अधिक मात्रा के कारण डायबिटीज पेशेंट्स के लिए इसे उपयुक्त माना जाता है। ज्वार की रोटी को खाकर वजन कम करने में भी मदद मिलती है। सफेद चावल या फिर मैदा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है लेकिन ज्वार में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। ज्वार रक्त शर्करा के स्तर को सही बनाए रखने में मदद करता है। इंसुलिन में नियंत्रण के कारण डायबिटीज रोगियों को ज्वार की रोटी खाने की सलाह दी जाती है।
ज्वार की रोटी खाने से शरीर को धीमे-धीमे ऊर्जा मिलती है। ज्वार रोटी में फाइटोकेमिकल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जो शरीर की सूजन को कम करते हैं।
ज्वार का सेवन करने से शरीर में फ्री रेडिकल्स कम होते हैं। फ्री रेडिकल्स की अधिक मात्रा कैंसर के खतरे को बढ़ाती है। जिन लोगों को अक्सर थकान महसूस होती है, उन्हें ज्वार की रोटियां जरूर खानी चाहिए।
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