जानें बढ़ती उम्र में वजाइना के साथ क्या-क्या होता है, इन तरीकों से बनाए रखें इसे ताउम्र हेल्दी

हेल्थ डेस्क.आमतौर पर महिलाएं वजाइना यानी योनि (vagina) के साथ हो रही समस्याओं को लेकर चुप रह जाती हैं। उन्हें यह शर्म का विषय लगता है। योनि में सूखापन, रिसाव और खुजली जैसी समस्याओं से पीड़ित होती है। लेकिन वो इसके बारे में बात नहीं करतीं।

Nitu Kumari | Published : Apr 10, 2023 4:20 AM IST

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वजाइना बच्चे के जन्म, पेरिमेनोपॉज़, मेनोपॉज के कारण कई परिवर्तनों से गुजरता है। कई तरह के रोगों से प्रभावित भी होती है। उम्र के साथ वजाइना में कई परिवर्तन होते हैं जो महिलाओं को परेशान करते हैं। लेकिन वजाइना यानि योनी को ताउम्र हेल्दी बनाया जा सकता है।लाइफस्टाइल में बदलाव करकें।

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चीनी से बना लें दूरी

बैक्टीरियल वेजिनोसिस (BV) या थ्रश (thrush)जैसी समस्या महिलाओं में आम हैं। हालांकि दवाओं से इसका इलाज किया जा सकता है। लेकिन यह योनि के ऊतकों की नमी और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए सबसे अच्छा है चीनी से दूरी बना लें। 40 से कम उम्र की महिलाओं को चीनी कम खानी चाहिए। जबकि 40 के बाद की महिलाओं को चीनी से दूरी बना लेनी चाहिए। प्रोसेस्ड फूड और चीनी बचने से योनि की समस्याएं कम हो जाएंगी, जिसमें BVऔर थ्रश जैसे बार-बार होने वाले संक्रमण शामिल है।

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वजाइना की ज्यादा सफाई से बचे

वजाइना को हार्ड साबुन या आंतरिक रूप से धोने से बैक्टीरियल वेजिनोसिस और थ्रश का जोखिम बढ़ जाता है।योनि आमतौर पर अम्लीय होती है, जो स्वस्थ बैक्टीरिया को पनपने में मदद करती है। लेकिन ज्यादा धोने बैक्टीरिया मरने लगते हैं।अत्यधिक सफाई पीएच संतुलन बाधित हो सकता है।योनि का महत्वपूर्ण अम्लीय वातावरण लैक्टोबैसिलस-प्रमुख योनि माइक्रोबायोम को बनाए रखने में मदद करता है। इसमें बड़े बदलाव से BV होने की आशंका बढ़ सकती है।

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प्रोबायोटिक्स लें

लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया है जो आंत, मुंह और योनि में रहता है। इसकी उपस्थिति हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती है। इसलिए दही, केफिर, सौकरकूट, कोम्बुचा और मिसो को अपनी डाइट में शामिल करें।

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स्मोकिंग से बनाए दूरी

स्मोकिंग वजाइना माइक्रोबायोम पर नेगिटिव असर डाल सकता है। साथ ही एस्ट्रोजेन के स्तर को कम कर सकता है।ज्यादा स्मोकिंग करने वाली महिलाओं मेनोपॉज अन्य के मुकाबले चार साल पहले ट्रिगर कर सकता है। यह योनी में सूखेपन और BV की वजह बन सकता है।

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पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करें

पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज मांसपेशियों को टोन करता है। गर्भाशय और योनि को हेल्दी रखता है।बवासीर का खतरा कम करता है।गर्भावस्था और बच्चे के जन्म में हार्मोनल परिवर्तन और बच्चे के वजन के कारण पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। ऐसे में पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज उसे ना सिर्फ मजबूती देती है बल्कि पहले की स्थिति में कर देती है।

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रूखेपन को नज़रअंदाज़ न करें

आमतौर पर 55 साल की उम्र के आसपास पीरियड्स रुक जाते हैं। लेकिन मेनोपॉज के लक्षण एक दशक पहले तक शुरू हो सकते हैं। मेनोपॉज के हिस्से के रूप में महिलाओं के एस्ट्रोजेन के स्तर में गिरावट आती है, और नतीजतन, बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस भी हो सकता है। जिसकी वजह से योनि का सूखापन, जलन, दर्द और खुजली, सेक्स के साथ दर्द, यूटीआई, कामेच्छा में कमी और वजाइना की दीवार आगे बढ़ जाना है। इसके इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।

योनि के सूखेपन के इलाज के लिए पेसरी या क्रीम के रूप में एस्ट्रोजेन और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराएं।

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सेक्स करते रहें

महिलाओं को ताउम्र यौन जीवन को हेल्दी बनाए रखने की सलाह दी जाती है। मेनोपॉज के बाद कोलेजन का प्रोडक्शन घट जाता है। लेकिन सेक्स का दबाव कोलेजन को उत्तेजित करता है। यदि आप सेक्स नहीं करती हैं तो योनी संकरी और छोटी हो सकती है।यह सेक्स को और अधिक दर्दनाक बना सकता है। इतना ही नहीं योनि में सूखापन भी आ जाएगा। कई और इससे जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।

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रेगुलर चेकअप कराएं

ऐसे किसी भी नए लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें जो एसटीआई, संक्रमण या कैंसर हो सकता है। रेगुलर चेकअप जरूर कराना चाहिए।

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