आज की अनहेल्दी लाइफ में कई लोग फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं और हालिया रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि आने वाले समय में फर्टिलिटी रेट और कम हो जाएगा।
हेल्थ डेस्क: फर्टिलिटी यानी कि प्रजनन क्षमता आज के दौर में एक ऐसी समस्या हो गई है, जिससे न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी जूझ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अल हेल्दी लाइफस्टाइल, सिगरेट-शराब का सेवन करना, स्ट्रेस लेना आदि चीज हैं। इसे लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें बताया गया है कि आने वाले समय में प्रजनन क्षमता और अधिक कम हो जाएगी और यह आने वाली पीढ़ी के लिए एक बुरा दौर हो सकता है। आइए आपको बताते हैं इस रिपोर्ट के बारे में और पिछले कुछ सालों में प्रजनन क्षमता में कैसी गिरावट देखी गई है।
क्या कहती है रिपोर्ट
बुधवार को द लैंसेट में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के 204 देश में से 155 या 76% देश में 2050 तक प्रजनन दर जनसंख्या प्रतिस्थापन स्तर से नीचे होगी। शोधकर्ताओं ने कहा कि वैश्विक प्रजनन दर प्रति महिला जन्म की औसत संख्या 1950 में लगभग पांच बच्चों से गिरकर 2021 में 2.2 हो गई। 2021 तक 110 देश में यह दर 2.1% थी। वहीं, दक्षिण कोरिया और सर्बिया जैसे देशों में यह स्थिति और चिंताजनक है। यहां प्रति महिला प्रजनन दर 1.1 बच्चों से कम है। शोधकर्ताओं ने कहा कि आने वाले समय में यह प्रजनन दर और ज्यादा कम हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रजनन दर कम होने से कई देशों की आबादी भी बहुत कम हो जाएगी।
प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक
एक्सपर्ट्स के अनुसार, फर्टिलिटी को प्रभावित करने के कारण में सबसे पहले मोटापा, धूम्रपान, कैफीन, शराब, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, डिप्रेशन या तनाव की दवाओं का सेवन करना आदि शामिल है। एक रिपोर्ट के अनुसार जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है उन्हें गर्भ धारण करने में अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक समय लगता है। भले ही उनके मासिक धर्म नियमित क्यों ना हो और गर्भपात के चांसेस भी ज्यादा होते हैं। इसके अलावा ज्यादा उम्र में गर्भ धारण करना, बार-बार मिसकैरेज होना, संभोग का समय और आवृत्ति प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है। वहीं, पुरुषों का खराब स्पर्म काउंट भी महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है।
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