दिल को रखना है हेल्दी और जवां, तो वजन को तेजी से करना होगा कम, स्टडी में खुलासा

ज्यादा वजन दिल की बीमारियों को बढ़ा सकता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि वजन कम किया जाए। स्टडी में इसे लेकर एक नई बात सामने आई है। आइए जानते हैं वजन और दिल का कनेक्शन।

Nitu Kumari | Published : Mar 30, 2023 7:37 AM IST / Updated: Mar 30 2023, 01:08 PM IST

हेल्थ डेस्क.मोटापा कई बीमारियों का जड़ हैं, इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट हमेशा इससे दूर रहने की सलाह देते हैं। तय मानक से ज्यादा वजन होने पर हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है। जिसकी वजह से हृदय रोग का खतरा मंडराने लगता है। इतना ही नहीं इंसुलिन प्रतिरोध, टाइप 2 डायबिटीज भी इसकी वजह से हो सकते हैं।

सर्कुलेशन: कार्डियोवास्कुलर क्वालिटी एंड आउटकम्स में स्टडी पब्लिश की गई है। यह शोध वजन घटाने कार्यक्रम में जीवनशैली में बदलाव के साथ वजन कंट्रोल करना शामिल था। जिसमें देखा गया कि वजन कम करने से हृदय रोग और समेत कई और बीमारियों का खतरा कम हुआ। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के 2023 रिपोर्ट के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक वजन और मोटापे से 2020 में 2.4 मिलियन लोगों की मौत हुई।

तेजी से वजन कम करने के बाद फिर से आ सकता है मोटापा

व्यवहारिक वजन घटाने के कार्यक्रम में हेल्दी भोजन और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ा देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। लोगों को वजन कम करने के लिए और उसे बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।व्यवहारिक वजन घटाने के कार्यक्रमों के बाद कुछ वजन वापस आना आम है। कुछ अबॉर्जेवशन रिलेटेड स्टडी से पता चलता है कि वजन परिवर्तन पैटर्न से कार्डियोवैस्कुलर जोखिम बढ़ सकता है। हालांकि, इस विश्लेषण के लेखकों के अनुसार इस पर पूरी तरह से डाटा की कमी बताई गई है।

मोटापा वापस आने की सोच की वजह से लोग नहीं लेते कार्यक्रम में हिस्सा

कई डॉक्टर और मरीज यह मानते हैं कि वजन घटाने के बाद अक्सर वजन फिर से बढ़ जाता है, और उन्हें डर है कि यह वजन कम करने के प्रयास को बेकार कर देता है। अध्ययन सह-वरिष्ठ लेखक सुसान ए जेब, पीएचडी ने बताया कि ऐसी सोच लोगों को वजन कम करने के लिए समर्थन देने में बाधा बन गई है। अधिक वजन या मोटापे के मुद्दों वाले लोगों के लिए, वजन कम करना टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग के जोखिम को कम करने का एक प्रभावी तरीका है।

वजन तेजी से कम होने के बाद कार्डियोवैस्कुलर बीमारी का खतरा होता है कम

स्टडी में पता चला कि जिन लोगों ने वजन घटाने के कार्यक्रम में शामिल होकर तेजी से अपना वेट लॉस किया उनमें कार्डियोवैस्कुलर बीमारी और टाइप 2 डायबिटीज के लिए कम जोखिम वाले कारक ते। इतना ही नहीं वजन कम करने के कार्यक्रम के खत्म होनों के बाद ये कम जोखिम वाले कारक कम से कम 5 साल तक चले।

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