
वजन कम करना आजकल सिर्फ एक ट्रेंड नहीं बल्कि जरूरत बन गया है। मोटापा न केवल आपकी पर्सनैलिटी को अफेक्ट करता है, बल्कि यह डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और थायरॉइड जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ भी बन सकता है। ऐसे में लोग अपने खानपान और दिनचर्या को लेकर बहुत सजग हो जाते हैं। वजन घटाने की इस यात्रा में एक सवाल जो सबसे ज़्यादा पूछा जाता है, वह है दिन में कितनी बार खाना चाहिए? क्या दिन में 2 बार खाना बेहतर है? या 3 मील्स और 2 स्नैक्स का रुटीन सही है? कुछ लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग की बात करते हैं, तो कुछ हर दो घंटे में खाने की सलाह देते हैं।
इस सवाल का कोई एक सटीक जवाब नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह व्यक्ति की लाइफस्टाइल, एक्टिविटी लेवल, मेटाबॉलिज्म, उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और खाने की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। साइंस कहता है कि सिर्फ खाना कम करना ही नहीं, खाने का टाइमिंग, फूड का कम्पोजिशन और मील्स की फ्रीक्वेंसी भी आपकी बॉडी पर गहरा असर डालती है। आज हम समझेंगे कि दिन में कितनी बार खाना, वजन घटाने के लिए सही होता है, और कौन-से साइंटिफिक फैक्ट्स इसमें हमारी मदद कर सकते हैं?
आमतौर पर, लोग दिन में तीन बार खाना खाते हैं - सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना। इस तरीके में, हर बार पेट भर के पौष्टिक खाना खाया जाता है ताकि अगले खाने तक भूख न लगे। ये ज़्यादातर लोगों के लिए आसान और जाना-पहचाना तरीका है।
लंबे समय से चले आ रहे इस तरीके को फॉलो करना और प्लान करना आसान है। हर बार पेट भर के खाने से अगले खाने तक भूख नहीं लगती। खाने के बीच पर्याप्त अंतर होने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
हर बार सीमित मात्रा में खाना ज़रूरी है और ज्यादा कैलोरी लेने से बचना चाहिए। सुबह का नाश्ता कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इससे मेटाबॉलिज़्म सही रहता है। दोपहर के खाने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फाइबर वाली चीजें शामिल करनी चाहिए। रात का खाना सोने से 2-3 घंटे पहले खाना बेहतर होता है।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिन में 5 से 6 बार थोड़ा-थोड़ा खाना वज़न घटाने में मदद करता है। इस तरीके में, खाने के बीच का अंतर कम होता है, जिससे भूख कंट्रोल में रहती है। इससे ज़्यादा खाने की संभावना कम हो जाती है। साथ ही, माना जाता है कि इससे मेटाबॉलिज़्म भी सही रहता है। खाने के बीच ज़्यादा अंतर न होने से तेज़ भूख नहीं लगती। थोड़ा-थोड़ा और बार-बार खाने से ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव नहीं होता, और दिन भर एनर्जी बनी रहती है।
खाने में सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और हेल्दी फैट होना चाहिए। स्नैक्स के नाम पर अनहेल्दी चीजें खाने से बचना चाहिए। कुल कैलोरी एक दिन के टारगेट के अंदर ही होनी चाहिए।
इंटरमिटेंट फ़ास्टिंग एक डाइट प्लान नहीं, बल्कि खाने का एक तरीका है। इसमें एक निश्चित समय तक खाना नहीं खाया जाता, और बाकी समय में खाना खाया जाता है। रिसर्च बताती हैं कि इससे वज़न कम करने, इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने और सेहत सुधारने में मदद मिल सकती है। दिन में 16 घंटे फास्टिंग और बाकी 8 घंटे में खाना खाना। हफ़्ते में 5 दिन नॉर्मल खाना और 2 दिन कैलोरी बहुत कम (करीब 500-600 कैलोरी) रखना। हफ़्ते में एक या दो बार 24 घंटे कुछ भी न खाना।
आपकी जीवनशैली: ऑफ़िस का समय, एक्सरसाइज़, रोज़मर्रा के काम, ये सब तय करते हैं कि आपको कितनी बार खाना चाहिए। कुछ लोग देर तक भूख सहन कर सकते हैं, कुछ को जल्दी भूख लग जाती है। अपनी भूख के हिसाब से खाने का तरीका चुनना चाहिए। ज़बरदस्ती भूखे रहना सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
पौष्टिक खाना: कितनी भी बार खाएं, क्या खाते हैं ये ज़्यादा मायने रखता है। पौष्टिक और संतुलित आहार लेना ज़रूरी है। प्रोसेस्ड फ़ूड, ज़्यादा चीनी और अनहेल्दी फैट वाली चीज़ें खाने से बचना चाहिए।
एक्सरसाइज: कोई भी डाइट प्लान फ़ॉलो करें, नियमित एक्सरसाइज़ वज़न घटाने के लिए ज़रूरी है। रोज़ कम से कम 30 मिनट मध्यम से तेज़ एक्सरसाइज़ करनी चाहिए।
पानी पीना: पर्याप्त पानी पीने से भूख कंट्रोल में रहती है और मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है। रोज़ कम से कम 2-3 लीटर पानी पीना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह: अगर आपको डायबिटीज़, थायरॉइड, PCOS जैसी कोई बीमारी है, तो डाइटीशियन या डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है। वे आपकी सेहत के हिसाब से सही डाइट प्लान बताएंगे। सिर्फ़ ऑनलाइन जानकारी पर भरोसा न करें, एक्सपर्ट्स की सलाह लें।